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हिंडसाइट बायस बोले तो अतीतजीवी पूर्वाग्रह

फिल्म शोले में सिक्के वाला प्रसंग आपको याद होगा। उधेड़बुन के हर मौके पर अमिताभ बच्चन (ाय) सिक्के उछालता है, हेड बोलता है और फैसला उसी के पक्ष में होता है। वो तो फिल्म खत्म होने के बाद बात सामने आती...

 हिंडसाइट बायस बोले तो अतीतजीवी पूर्वाग्रह
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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फिल्म शोले में सिक्के वाला प्रसंग आपको याद होगा। उधेड़बुन के हर मौके पर अमिताभ बच्चन (ाय) सिक्के उछालता है, हेड बोलता है और फैसला उसी के पक्ष में होता है। वो तो फिल्म खत्म होने के बाद बात सामने आती है कि उस सिक्के का केवल एक ही पहलू (हेड) था और लगभग हर मौके पर फैसला वही होता है जो जय चाहता है। मौत को गले लगाने समेत। निर्णय लेने की प्रक्रिया अक्सर एसी ही लगती है कि जसे संयोगवश कोई फैसला ले लिया गया है जबकि वास्तव में एसा होता नहीं है। अगर आप करीबी तौर पर देखें तो जीवन में ,खासकर, स्टाक मार्केट में जो इन दिनों हो रहा है, वह ठीक इसके उलट है। बहुत सारी घटनाएं संयोगवश हो रही हैं लेकिन एसे ढेर सार लोग हैं जो दूसरों को यह यकीन दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे जानते हैं कि क्या हो रहा है। ज्यादातर मामलों में वे खुद पूरी तरह विश्वस्त हैं। दिलचस्प बात यह है कि स्टाक बाजार जबसे (ानवरी में ) धराशायी हुआ है, तबसे यह पीछे की ओर देखने की प्रवृत्ति-हिंडसाइट बायस-(अतीतजीवी पूर्वाग्रह) ज्यादा मुखर हो रही है। एसा क्यों हुआ है? कई एसे गुरु थे जिन्होंने स्टाक मार्केट के धराशायी हो जाने की भविष्यवाणी की थी, कई एसे लोग थे जिनका अनुमान था कि शेयर बाजार का प्रदर्शन अभी और बढ़िया होगा और कई लोगों ने कहा था कि बाजार पूर्ववत बना रहेगा। अब ये तीनों तरह के लोग अपनी बात के सही होने का दावा कर रहे हैं।ड्ढr यह पहले के उन वर्षो से अलग है जब कमोबेश केवल बेहद आशावादी लोग ही दावा कर सकते थे कि उन्होंने सही भविष्यवाणी की थी। इसलिए आजकल इस हिंडसाइट इंडस्ट्री अभी पूर शबाब पर है। लेकिन मुझे गलत न समझें। मैं व्यक्ितगत रूप तथा नियमित तौर पर लगातार काफी लोगों से बातचीत करता रहता हूं और यह बिल्कुल स्पष्ट है कि लगभग सभी मामलों में वे उन बातों को झुठलाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं जो उन्होंने पहले कहा था। हम सभी एक प्रकार के वास्तविक हिंडसाइट बायस (बोले तो अतीतजीवी पूर्वाग्रह) से पीड़ित हैं। यह अतीतजीवी पूर्वाग्रह एक गंभीर मनोवैज्ञानिक अवधारणा है और जिस तरह से यह काम करता है वो बेहद कपटपूर्ण है। भविष्य में क्या होने जा रहा है, इसे लेकर हर दिन आप पांच बार अपने विचार बदलते हैं। आखिर में, उनमें से एक विचार सही साबित हो ही जाता है। जब वो सही साबित हो जाता है तो खुद को यह यकीन दिलाने की कोशिश मत करें कि आपने बस केवल सही वाला विकल्प ही सोचा था।ं

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