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नेता बनने में बहुते मजा है। चुनाव जीत गये, तब तो कहना ही नहीं है। जनता के प्रतिनिधि बनते ही जनता से दूर से होये के सब जोगाड़ अपने जुट जाता है। अर भाई जनता से दूर होये के मतलबे है कि जनता के दुख-तकलीफ...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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नेता बनने में बहुते मजा है। चुनाव जीत गये, तब तो कहना ही नहीं है। जनता के प्रतिनिधि बनते ही जनता से दूर से होये के सब जोगाड़ अपने जुट जाता है। अर भाई जनता से दूर होये के मतलबे है कि जनता के दुख-तकलीफ से मुक्त हो जाना। अब एमपी-एमएलए भी कहीं रक्शा-टेंपो से चलते हैं। एयरकंडीशंड गाड़ियों की कौनो कमी है क्या। नेता बनते चाल-ढाल बदल जाती है। एकदम से झकाझक कुरता-पैजामा। सफेद-सफेद दाढ़ी और बाल भी काले-काले हो जाते हैं। बूढ़ा नेता भी जवान हो जाता है। होगा काहें नहीं, इहां तो आम के आम और गुठली के दाम वाला हिसाब चलता है। वेतन-भत्ता, सरकारी घर वगैरह तो मिलबे करता है, लिखा-पढ़ी कर खातिर पीए भी मिल जाता है। मंत्री बनें न बनें, कस्टोडियन साहब की कृपा से लालबत्ती वाली गाड़ी मिल जाती है। अपने एगो माननीय जी हैं। पहली बार माननीय बनने का मौका मिला। औद्योगिक नगरी से इलेक्ट होकर आये हैं। माननीय बने फिर पंचायत के कस्टोडियन साहब की मेहरबानी से चेयरमैन बना दिये गये। फिर क्या था। सरकारी खर्चे पर राज्य के अंदर और बाहर तफरीह करने लगे। तफरीह का मजा तो है ही, ऊपर से टीए-डीए मिल जाता है। अपने तो अपने मैडम को भी संगे-संग घुमाने की छूट है। अब माननीय जी तो हद कर दिये। स्टेट के अंदर टूर निकला। माननीय अपने तो गये नहीं, अपने पीए को भेज दिये। पीए महाराज भी अपने को चेयरमैन से कम नय बूझने लगा। घूमने -फिरने के साथ-साथ मीटिंग-सीटिंग करने लगा। भला अइसन कहीं होता है। आप कहियेगा झारखंड में होता है न! यहां कुछो हो सकता है। प्रतिनियुक्ित लखनऊ में भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के आदेशानुसार वाइके सिंह वन संरक्षक हाारीबाग अंचल को मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ में प्रतिनियुक्त किया गया है। यह प्रतिनियु्क्ित पांच वर्षो के लिए होगी।

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