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30 बड़े नक्सलियों की तलाश झारखंड पुलिस को है। पुलिस मुख्यालय की ओर से इस संबंध में सभी एसपी को पत्र भेजा गया है। इसमें निर्देश दिया गया है कि चुनाव के दौरान ये नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते...

लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 15 Nov 2014 07:58 PM
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30 बड़े नक्सलियों की तलाश झारखंड पुलिस को है। पुलिस मुख्यालय की ओर से इस संबंध में सभी एसपी को पत्र भेजा गया है। इसमें निर्देश दिया गया है कि चुनाव के दौरान ये नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं।

इनके बारे में अखबारों में इश्तेहार भी दिया गया है। सूची में रांची में सक्रिय नक्सली कुंदन पाहन का भी नाम है। उस पर अभी पांच लाख रुपए का इनाम है। इसे बढ़ा कर सात लाख करने का प्रस्ताव भी है। सूची में आंध्रप्रदेश का गणपति राव, अनमोल हेंब्रम, कृष्णा यादव, संजय जी, समरजी, अरविंद सिंह उर्फ अरविंद जी, नवीन महतो, अजय महतो सहित अन्य नक्सलियों के नाम हैं। इसके अलावा पुलिस मुख्यालय ने 50 अन्य नक्सलियों के नाम भेजे हैं, जिन पर इनाम घोषित करने की सिफारिश गृह विभाग से की गई है। इनाम घोषित होने पर उनकी तसवीर और नाम भी सार्वजनिक होंगे। कई बड़े नक्सलयों के इनाम की राशि बढ़ाने की सिफारिश की गई है।


नीमी पूर्ति
ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ और आदिवासियों को दासता की बेड़ी से मुक्त कराने के लिए भगवान बिरसा मुंडा ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। धरती आबा के तप-त्याग और बलिदान से देश के साथ झारखंड भी आजाद हुआ। झारखंड आंदोलनकारियों की लड़ाई और कुर्बानी से झारखंड मिला। जिस सोच और सपनों के साथ बलिदानियों ने लड़ाई लड़ी थी, उसे हम कितना हासिल कर पाए।

बिरसा मुंडा ने देश, धरती  और जनजातियों के विकास के लिए क्या-क्या जुल्म नहीं सहे। झारखंडी संस्कृति, सम्मान, परंपरागत खेती, रोजगार और वनों की सुरक्षा से संबंधित एकमत विचार धरती आबा ने बनाए थे। धर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और राजनीति के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति भगवान बिरसा मुंडा लाए थे। भगवान बिरसा मुंडा ने इस सोच के साथ आंदोलन शुरू किया था कि यहां सिर्फ यहां के लोगों का राज चलेगा। कानून शोषण के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के विकास के लिए होगा। इसी आदर्श को लेकर झारखंड आंदोलनकारियों ने अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ी । झारखंड का उदय हुआ। बड़ी उम्मीद जगी थी। बिरसा मुंडा के सपने साकार होंगे। उनके आदर्शो पर चलकर राज्य में सुख-शांति फैलेगी। भूख और भ्रष्टाचार का खात्मा होगा। रोजगार बढ़ेगा। जनजातीय व्यवस्था स्थापित होगी। लेकिन आज सब उलटा हो रहा है।

भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थली और समाधि स्थल का जीर्णोद्धार कराने की फुरसत जब सरकार को नहीं है, तब उनके आदर्शो पर क्या चलेगी सरकार। भ्रष्टाचार कदम-कदम पर है। गांवों में आज भी आदिवासी नमक-भात खाकर जी रहे हैं। भगवान बिरसा की मूर्ति पर स्थापना दिवस के दिन एक-दो फूल और माला चढ़ा कर सरकार बहुत बड़ा एहसान कर देती है। ऐसा ढोंग और नाटक कब तक चलेगा। कब तक हम सहेंगे।

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