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शिवसेना को बिखरने से बचाना उद्धव के लिए चुनौती

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भले ही कह रहे हों कि भाजपा का साथ मेरी मजबूरी नहीं है और न मैं सत्ता का भूखा हूं। लेकिन यह सच है कि हिन्दुत्व के नाम पर भाजपा के साथ चिपके रहना उनकी मजबूरी है। सूत्रों...

शिवसेना को बिखरने से बचाना उद्धव के लिए चुनौती
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 09 Nov 2014 10:41 PM
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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भले ही कह रहे हों कि भाजपा का साथ मेरी मजबूरी नहीं है और न मैं सत्ता का भूखा हूं। लेकिन यह सच है कि हिन्दुत्व के नाम पर भाजपा के साथ चिपके रहना उनकी मजबूरी है।

सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बिखरने से बचाना है। सुरेश प्रभु का शिवसेना छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले मंत्रिमंडल में शामिल होना इस बात का संकेत है कि भाजपा मंत्रीपद का लालच देकर शिवसेना के विधायकों को तोड़ सकती है।

शिवसेना के टूटने का पुराना इतिहास है। इस समय भाजपा अपनी सरकार बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। शिवसेना के साथ चुनावी गठबंधन पहले ही टूट चुका है और भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बचाने के लिए शिवसेना के दर्जनभर विधायकों को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है।

भाजपा बीएमसी पर भी कब्जा करने की कोशिश में है जिसके सहारे शिवसेना की राजनीति चलती है। भाजपा के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के लिए सीईओ नियुक्त करने की बात की है जिसपर शिवसेना विरोध जता चुकी है। इससे पहले भाजपा विदर्भ राज्य बनाने की घोषणा कर चुकी है।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा शिवसेना से बिना शर्त समर्थन चाहती है ताकि वह अपनी मर्जी से सरकार चला सके। इसके लिए भाजपा ने अपनी रणनीति के तहत बहुमत साबित करने के लिए एनसीपी के समर्थन को ठुकराया नहीं है। भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 24 विधायकों का समर्थन चाहिए। कुछ निर्दलीय और छोटे दलों के समर्थन के बावजूद 144 का जादुई आंकड़ा पूरा नहीं हो पा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामले से बचने के लिए एनसीपी समर्थन देने के लिए आगे आई है। कांग्रेस और एनसीपी के खिलाफ चुनाव जीतने वाली भाजपा भी इससे बचना चाहती है। लेकिन एनसीपी के सहारे बहुमत साबित करने के बाद भाजपा सरकार छह महीने के लिए सुरक्षित हो जाएगी। इस दौरान भाजपा मंत्रीपद का लालच देकर शिवसेना को भी तोड़ने की कोशिश करेगी। शिवसेना के विधायकों के सहारे बहुमत वाली सरकार बना लेने के बाद भाजपा एनसीपी को दूर कर देगी और जनता के बीच गलत संदेश नहीं जाएगा। सूत्रों का कहना है कि तमाम संभावनाओं से उद्धव भी वाकिफ हैं। इसलिए वह भी भाजपा पर दबाव की राजनीति कर रहे हैं। अगर इसमें वह कामयाब हो जाते हैं तो पार्टी को टूटने से बचा सकते हैं।

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