रामपुर को प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू, फिर अटल और अब मोदी ने दिया मौका
आजादी के 67 साल तक के इस लंबे सफर में महज तीसरी दफा रामपुर को केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। देश के महज तीन प्रधानमंत्रियों ने रामपुर को लालबत्ती देकर इस छोटे से जिले का मान बढ़ाया...
आजादी के 67 साल तक के इस लंबे सफर में महज तीसरी दफा रामपुर को केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। देश के महज तीन प्रधानमंत्रियों ने रामपुर को लालबत्ती देकर इस छोटे से जिले का मान बढ़ाया है।
प्रदेश सरकार में भले ही रामपुर को लालबत्ती जब-तब मिलती रहीं। एक अलग पहचान जिले को मिली, दर्जा प्राप्त से लेकर राज्य मंत्री और कैबिनेट स्तर तक के मंत्री रामपुर से रहे लेकिन, बात जब केंद्र सरकार की करें तो रामपुर की झाेली में यह सब बहुत कम रहा। जिस वक्त देश आजाद हुआ था। प्रथम लोकसभा का गठन हुआ तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रामपुर से सांसद मौलाना अबुल कलाम आजाद को देश का पहला शिक्षामंत्री बनाया था। बेशक, मौलाना आजाद रामपुर के रहने वाले नहीं थे, लेकिन, यहां से सांसद थे। इसके बाद चुनाव होते रहे, रामपुर से लोकसभा के लिए नेता जाते रहे, कभी जनता पार्टी तो कभी कांग्रेस के प्रत्याशी जीते लेकिन, यह सौभाग्य किसी को नहीं मिला।
बात 12वीं लोकसभा की है जब भाजपा के प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीतकर दिल्ली गए तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें अपने मंत्रीमंडल में शामिल करते हुए रामपुर का गौरव बढ़ाया। उसके बाद तीसरी दफा यह मौका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। जब मोदी ने पीएम पद की शपथ ली, तभी माना जाने लगा था कि नकवी को लालबत्ती मिलेगी लेकिन, देर से ही सही, अब आकर एक बार फिर रामपुर का मान बढ़ा है।