पंजाब सरकार को खल रही है उर्दू जानकारों की कमी
पंजाब के सरकारी कार्यालयों में उर्दू भाषा में लिखा पुराना सरकारी रिकार्ड पढ़ने के लिए राज्य सरकार को उर्दू के जानकार कर्मचारियों की कमी खल रही है। राज्य में पुराना सरकारी रिकार्ड उर्दू में लिखा होने...
पंजाब के सरकारी कार्यालयों में उर्दू भाषा में लिखा पुराना सरकारी रिकार्ड पढ़ने के लिए राज्य सरकार को उर्दू के जानकार कर्मचारियों की कमी खल रही है। राज्य में पुराना सरकारी रिकार्ड उर्दू में लिखा होने के चलते रिकार्ड ढूंढने और इसे पढ़ने के लिए उर्दू भाषा के जानकारों नहीं मिल रहे जिसके चलते सरकारी कर्मियों और आम लोगों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य के सरकारी कार्यालयों में वर्ष 1887 तक का रिकार्ड मौजूद है लेकिन उर्दू भाषा में लिखे इस रिकार्ड को समझने वाले मिल नहीं रहे। उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले ज्यादातर तहसीलदार और नायब तहसीलदार अब लगभग सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
जमीनों के भाव बढ़ने के साथ लोग इनका पुराना रिकार्ड लेने केलिए राजस्व विभाग तक पहुंच कर रहे हैं लेकिन विभाग के कर्मचारी उन्हें साथ में उर्दू पढ़ने वाला भी साथ लाने को बोलते हैं। राज्य में अब ऐसे बहुत कम लोग हैं जो उर्दू का ज्ञान रखते हैं तथा नई पीढ़ी भी अब इसे सीखने में ज्यादा रूचि नहीं रखती।
सरकारी कार्यलयों में ज्यादातर पुराना रिकार्ड उर्दू में लिखा होने के कारण लोगों को अपने बजुर्ग के जन्म और मत्यु प्रमाणपत्न निकलवाने में दिक्कत आ रही है। स्वास्थ्य विभाग और निगम कार्यालयों में भी उर्दू का ज्ञान रखने वाली कर्मचारी नाममात्न ही हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने अपने कर्मियों को हिदायत दी हुई है कि उर्दू में लिखे जन्म प्रमाणपत्नों को पढ़ने के लिए उर्दू जानकारों का इंतज़ाम कर ही इन्हें बनाए जाए। दूसरी तरपक सरकारी कर्मियों का कहना है कि अब उर्दू जानकारों को ढूंढने के लिए काफी मुश्किल आ रही है।