धरना, प्रदर्शन, लाउडस्पीकर नियंत्रित करें सरकारें: कोर्ट
लगातार बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि धरना, प्रदर्शन, भाषणबाजी, पटाखे, बैंडबाजे, डीजे और पूजा स्थलों में लगे लाउडस्पीकरों को नियंत्रित किया...
लगातार बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि धरना, प्रदर्शन, भाषणबाजी, पटाखे, बैंडबाजे, डीजे और पूजा स्थलों में लगे लाउडस्पीकरों को नियंत्रित किया जाए।
सर्वोच्च अदालत ने यह आदेश नौ साल बाद राजस्थान विधानसभा के आसपास होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के मामले में दोहराया है। अदालत ने अपने 2005 के आदेश को दोहराते हुए सभी सरकारों को आदेश दिया है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच किसी तरह का शोर न होने दें। कोर्ट ने कहा कि हम देख रहे हैं कि कुछ सरकारें इस आदेश का पालन नहीं कर रही हैं।
राजस्थान ने तो लगता है कि इस आदेश का संज्ञान ही नहीं लिया है ऐसे में उससे इसके पालन करने की क्या उम्मीद की जाए।
जस्टिस एफएम कलीफुल्ला और अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश देते हुए राजस्थान सरकार से कहा कि वह राज्य विधानसभा के पास धरने प्रदर्शन और भाषणबाजी को नियंत्रित करे जिससे पास में रहने वाले लोग आराम से जी सकें। कोर्ट ने कहा शांति से जीना नागरिकों का संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक अधिकार है। किसी को किसी भी वक्त धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राजस्थान पुलिस विधानसभा के रास्तों पर उचित बैरिकेडिंग लगाए और वहां अस्थायी टायलेट का इंतजाम करवाए ताकि लोग पास रह रहे लोगों के घरों की दीवारों को निशाना न बनाएं। धरना, प्रदर्शन और जुलूस के लिए उचित पूर्व अनुमति ली जाए और ऐसे यंत्रों को इस्तेमाल न करने दिया जाए जिससे घ्वनि प्रदूषण होता हो।
क्या था आदेश :
- रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक कोई लाउडस्पीकर, पटाखे और डीजे नहीं चलेगा
- रिहायशी क्षेत्रों में कोई हार्न नहीं बजने दिया जाएगा। धरना प्रदर्शन के लिए पूर्व अनुमति ली जाए।
- राज्य सरकारें जागरूकता अभियान चलाएंगी। स्कूलों के पाठय़क्रम में ध्वनि प्रदूषण के बारे जानकारी दी जाएगी।