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पनडुब्बी हादसे रोकेगी फ्यूल सेल तकनीक

नौसेना की पनडुब्बियों में हो रहे हादसों को रोकने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने फ्यूल सेल तकनीक विकसित की है। ये फ्यूल सेल पनडुब्बियों के हादसों की बड़ी वजह साबित हुईं बैटरियों की...

पनडुब्बी हादसे रोकेगी फ्यूल सेल तकनीक
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 07 Nov 2014 07:19 PM
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नौसेना की पनडुब्बियों में हो रहे हादसों को रोकने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने फ्यूल सेल तकनीक विकसित की है। ये फ्यूल सेल पनडुब्बियों के हादसों की बड़ी वजह साबित हुईं बैटरियों की जगह लेंगे।

दरअसल, डीजल चालित पनडुब्बियों की बैटरियों से हाइड्रोजन गैस के रिसाव की आशंका रहती है। रक्षा वैज्ञानिकों ने इन्हीं बैटरियों की जगह इस्तेमाल के लिए फ्यूल सेल विकसित किए हैं जो परीक्षण के स्तर पर हैं। मार्च 2015 में फ्यूल सेल तकनीक के परीक्षण शुरू हो जाएंगे।

डीआरडीओ की नेवेल मेटीरियल रिसर्च लेब्रोटरी (एनएलआरएम) के वैज्ञानिकों ने पनडुब्बियों में ईधन के लिए इन तीसरी पीढ़ी के फ्यूल सेल का निर्माण किया है। फ्यूल सेल तकनीक अभी जर्मनी समेत एक-दो और देशों के पास ही है लेकिन भारतीय तकनीक उनसे भी एक कदम आगे की है। माना जा रहा है कि फ्यूल सेल तकनीक से पनडुब्बी संचालन न सिर्फ प्रभावी होगा बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी न्यूनतम रह जाएगी।

डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने 30 किलोवाट बिजली पैदा करने वाले फ्यूल सेल विकसित किए हैं। फ्यूल सेल लगातार कार्य करते रहते हैं तथा इनमें समय-समय पर रसायन भरने की जरूरत पडम्ती है। फ्रांस की मदद से प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाई जा रही छह पनडुब्बियों में से दो में 2018 तक फ्यूल सेल तकनीक लगाई जाएगी। इन पनडुब्बियों का निर्माण मजगांव डॉकयार्ड में ही हो रहा है। इस बाबत फांस की पनडुब्बी कंपनी डीसीएनएस से समझौता भी हो चुका है। लेकिन उससे पहले फ्यूल सेल के जमीनी परीक्षण होने हैं। फिर इसे पनडुब्बी के ढांचे में फिट करके परीक्षण किया जाएगा।

बैटरियों से पनडुब्बी संचालन में दिक्कतें
-बैटरी से लीक होने वाली हाइड्रोजन, उसमें आग लगने का बडम कारण।
-बड़ी संख्या में बैटरियां लगाने से पनडुब्बी में काफी स्थान घिर जाता है।
-बैटरी चार्ज करने के लिए पनडुब्बी को दो-तीन दिन में सतह पर लाना जरूरी।
-पनडुब्बी के बाहर आने से दुश्मन की राडार की नजर में आने का खतरा

नौसेना की ताकत
80 जहाज एवं पनडुब्बियां नौसेना के पास अभी हैं।
इनमें से ज्यादा पनडुब्बियां अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं।
सभी डीजल चालित, पानी के भीतर बैटरी से चालित।
-सिर्फ अरिहंत पनडुब्बी में ऊर्जा के लिए परमाणु रिएक्टर है।
परमाणु पनडुब्बी सुरक्षित तरीका है लेकिन बेहद महंगा है।

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