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विदेशों में भी सेंटर खोलेगा केंद्रीय हिन्दी संस्थान

केंद्रीय हिन्दी संस्थान अब तकनीक का सहारा लेकर अपना विस्तार करेगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण को और भी व्यापक बनाया जाएगा। हिन्दी के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए देश के कई हिस्सों के...

विदेशों में भी सेंटर खोलेगा केंद्रीय हिन्दी संस्थान
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 06 Nov 2014 10:16 PM
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केंद्रीय हिन्दी संस्थान अब तकनीक का सहारा लेकर अपना विस्तार करेगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण को और भी व्यापक बनाया जाएगा। हिन्दी के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए देश के कई हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में सेंटर खोलने की भी योजना है। यह कहना है केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी का। वे केंद्रीय हिन्दी संस्थान में गुरुवार को केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल की शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने आई थीं। बैठक के बाद लिए गए फैसलों के साथ संस्थान की भावी योजनाओं की जानकारी दी।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने बताया वे विश्व उर्दू कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए गई थीं। वहां बात उठी कि बच्चे दादा-दादी और नाना-नानी के हिन्दी में लिखे खत नहीं पढ़ पाते हैं। बच्चों की मातृभाषा को सबल बनाना है। उन्होंने दादा-दादी और नाना-नानी की कहानियों को हिन्दी पाठ्यक्रमों में शामिल कराने की बात भी कही। उन्होंने बताया हिन्दी के युवा रचनाकारों को एक वार्षिक पुरस्कार भी दिया जाएगा। हिन्दी और प्रादेशिक भाषाओं के बीच में सेतु बनाने का काम होगा। हिन्दी और जनजातीय भाषाओं के बीच भी पुल बनाया जाएगा। हिन्दी-जनजातीय भाषा लेखक को सरदार बल्लभ भाई पुरस्कार देने का फैसला लिया है। गेट पर खड़ी छात्रओं की समस्याएं सुनकर उन्होंने कहा मैंने बैठक में आदेश कर दिया है, आपके पाठ्यक्रमों के प्रमाणपत्र आपकी जरूरत के हिसाब से ही बनेंगे। प्रदेश सरकारों द्वारा संस्थान की डिग्रियों को मान्यता नहीं देने के मसले को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने तत्काल आदेश कर दिए हैं।

हिन्दी के विकास और विस्तार पर चर्चा करने आई हूं
इससे पहले स्मृति ईरानी दोपहर में जब संस्थान पहुंचीं पत्रकारों से बात करने से मना कर दिया। हालांकि बैठक के बाद वे इसके लिए राजी हुईं, मगर उन्होंने दिल्ली में प्रदेश सरकार को लेकर हो रही राजनीतिक उठापटक और संस्थान को विश्वविद्यालय बनाने सहित कई सवालों से किनारा कर लिया। उन्होंने कहा कि मैं यहां हिन्दी के विकास और विस्तार पर चर्चा करने आई हूं।

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