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तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा प्लेइंग इट माइ वे का विमोचन किया

सचिन तेंदुलकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा प्लेइंग इट माइ वे को बुधवार को भव्य समारोह में इस महान क्रिकेटर के कुछ पूर्व साथियों, सेलीब्रिटीज और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में लांच किया गया। तेंदुलकर ने...

तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा प्लेइंग इट माइ वे का विमोचन किया
एजेंसीWed, 05 Nov 2014 09:46 PM
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सचिन तेंदुलकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा प्लेइंग इट माइ वे को बुधवार को भव्य समारोह में इस महान क्रिकेटर के कुछ पूर्व साथियों, सेलीब्रिटीज और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में लांच किया गया। तेंदुलकर ने आज अपनी आत्मकथा की पहली प्रति अपनी मां रजनी को दी थी। तेंदुलकर ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आत्मकथा का खुद विमोचन किया।

लांच के दौरान तेंदुलकर ने अपने मेंटर और बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को अपनी बेटी सारा की मौजूदगी में किताब की प्रति दी। व्हीलचेयर पर आए आचरेकर को किताब की प्रति देने से पहले तेंदुलकर ने कहा कि मैं लांच के बाद पहली प्रति किसी ऐसे व्यक्ति को देना चाहता था जो मेरे जीवन में काफी विशेष है।

किताब के विमोचन से पहले क्रिकेट विशेषज्ञ और कार्यक्रम के होस्ट हर्षा भोगले ने तेंदुलकर के टीम के पूर्व साथियों और परिवार के सदस्यों के साथ तीन पैनल चर्चा की। इस किताब में इनके बारे में विस्तृत जिक्र किया गया है। पहली पैनल चर्चा में पूर्व भारतीय कप्तानों सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, रवि शास्त्री और तेंदुलकर के करियर को ढालने में अहम भूमिका निभाने वाले मुंबई के पूर्व क्रिकेटर वासु परांजपे ने हिस्सा लिया।

गावस्कर ने याद किया कि पहली बार वह कैसे तेंदुलकर से मिले और पहली नजर में ही उनकी प्रतिभा से प्रभावित हो गए। गावस्कर ने कहा कि हेमंत वेनगांकर और अनिल जोशी ने मुझे सचिन से मिलाया और मुझे उसकी बल्लेबाजी देखने को कहा। संभवत: उस समय मैं अपना क्रिकेट खत्म कर चुका था। वह वानखेड़े के नेट पर राजू कुलकर्णी के खिलाफ बल्लेबाजी कर रहा था जो काफी अच्छे गेंदबाज थे। नेट पर गेंदबाजी करते हुए आप नोबाल की चिंता नहीं करते और राजू भी ऐसा ही कर रहा था। लेकिन सचिन ने बैकफुट पर मिड आफ और मिड आन की तरफ जिस तरह गेंदों को खेला उससे मैं प्रभावित था।

तेंदुलकर के साथ बल्लेबाजी करने का मौका मिलने की संभावना के बारे में पूछने पर गावस्कर ने कहा कि मुझे लगता है कि जहां तक विकेटों के बीच दौड़ का सवाल है तो हम काफी अच्छे होते। मुंबई और भारत के पूर्व कप्तान वेंगसरकर ने कहा कि वानखेड़े स्टेडियम के नेट पर उस समय भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज रहे कपिल देव की गेंदों को तेंदुलकर को आसानी से खेलते हुए देखकर उन्होंने उसे टीम में खिलाने का फैसला किया। भारतीय टीम तब न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने के लिए मुंबई आई थी।

उन्होंने कहा कि मैं उस समय मुंबई का कप्तान था और मैंने उसके बारे में काफी कुछ सुना था। वासू उसे लेकर आया और मुझे मिलाया। वासु ने मुझे कहा कि तुम्हें सचिन को खेलते देखना चाहिए। मैंने कहा अभी नहीं लेकिन वासु ने कहा नहीं तुम्हें जाना चाहिए।
 

वेंगसरकर ने कहा कि मैं अपना 100वां टेस्ट खेल रहा था और हम सीसीआई में अभ्यास कर रहे थे। मैंने कपिल और मनिंदर से उसे गेंदबाजी करने को कहा और इतनी कम उम्र में उसने आसानी से उन्हें खेल लिया। मैंने इसके बाद मुंबई के चयनकर्ताओं कहा कि हमें उसे कम से कम 15 सदस्यीय टीम में चुनना चाहिए लेकिन अगले तीन दिन वह अभ्यास के लिए नहीं आया। मैं उससे थोड़ा नाराज था। मैंने वासु से कारण पूछने को कहा तो उसने कहा कि उसकी परीक्षा थी। शास्त्री ने सिडनी में 1992 में नाबाद 148 रन की पारी के दौरान इस दिग्गज खिलाड़ी को करीब से बल्लेबाजी करते हुए देखा और उन्होंने कहा कि उनके मुताबिक यह उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी थी।

 

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