सरकारी अस्पतालों में एड्स के दवा की सप्लाई बंद
खतरनाक बीमारी एचआईवी एड्स का इलाज सरकारी अस्पताल से करा रहे मरीजों के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो गई है। उनकी दवा अस्पताल में मिलना बंद हो गई है। देशभर के सरकारी अस्पतालों में इस दवा का अकाल पैदा हो गया...
खतरनाक बीमारी एचआईवी एड्स का इलाज सरकारी अस्पताल से करा रहे मरीजों के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो गई है। उनकी दवा अस्पताल में मिलना बंद हो गई है। देशभर के सरकारी अस्पतालों में इस दवा का अकाल पैदा हो गया है। यह स्थिति नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन) द्वारा अस्पतालों को दवा की सप्लाई नहीं किए जाने के चलते उत्पन्न हुई है। एड्स की इस महंगी दवाई को बाजार में खरीदने के लिए भी मरीजों को भटकना पड़ रहा है।
एचआईवी एड्स की दवा टिनोफोबिर सरकारी अस्पतालों में खत्म हो गई है। इससे इस खतरनाक बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज मुश्किल हो गया है। जिला अस्पताल में स्थित एंटीरेटरोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी सेंटर) के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ.पीके त्यागी ने बताया कि अस्पतालों में यह दवा नाको के माध्यम से मिलती थी, लेकिन वहां से इसकी सप्लाई बंद हो गई है। टिनोफोबिर दवा का संकट देशभर में होने की जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि बाजार में भी यह दवा मुश्किल से मिल रही है। अभी यह मुरादाबाद में केवल एक ही मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है। एआरटी सेंटर पर मंडल के साथ ही अन्य जिलों के एचआईवी मरीजों का भी इलाज चल रहा है। दवा नहीं मिलने से मरीज इधर उधर भटकने को मजबूर हैं। यह दवा काफी महंगी है। एक गोली की कीमत बीस रुपये है। जिससे गरीब मरीजों के सामने इलाज जारी रखने को लेकर संकट पैदा हो गया है। एआरटी सेंटर के काउंसलर रत्नेश शर्मा का कहना है कि दवा नहीं मिलने के कारण मरीजों में इस बीमारी से लड़ने का उत्साह भरना भी मुश्किल हो गया है। जब तक सेंटर पर दवा उपलब्ध नहीं होगी तब तक स्टाफ के लिए मरीजों को संभालना कठिनाई भरा होगा।
मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है ये दवा
एचआईवी एड्स के संक्रमण से पीड़ित मरीजों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता लगातार कम होती जाती है। जिससे मरीज कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। टिनोफोबिर दवा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर होती है। एचआईवी संक्रमित मरीज को कई गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए यह दवा देनी बहुत जरूरी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता सीडी फोर से मापा जाता है। सीडी फोर काउंट 250 से नीचे आने पर दवा देना बहुत जरूरी हो जाता है। इससे मरीज का सीडी फोर काउंट बढ़ाने में मदद मिलती है।