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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की

भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस द्वारा सरकार के गठन में असमर्थता जताये जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज दिल्ली विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने की सिफारिश की। राष्ट्रीय राजधानी में...

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की
एजेंसीTue, 04 Nov 2014 05:53 PM
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भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस द्वारा सरकार के गठन में असमर्थता जताये जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज दिल्ली विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने की सिफारिश की। राष्ट्रीय राजधानी में विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की संक्षिप्त बैठक के बाद एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने की सिफारिश की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल का यह फैसला दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग की उस रिपोर्ट पर विचार करने के बाद किया गया जिसमें उप राज्यपाल ने भाजपा, आप और कांग्रेस के साथ अपनी बैठक के बाद दिल्ली विधानसभा को भंग करने का सुझाव दिया है।

जंग द्वारा भेजी गई रिपोर्ट से राष्ट्रीय राजधानी में फिर से चुनाव कराए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार ने 49 दिन शासन करने के बाद इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। तीनों मुख्य दलों द्वारा सरकार बनाने में असमर्थता जताने तथा ताजा जनादेश हासिल करने का पक्ष लिये जाने के साथ उपराज्यपाल ने विधानसभा को भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश की।

उच्चतम न्यायालय द्वारा उप राज्यपाल से मुद्दे पर तेजी से विचार किए जाने की बात कहने और सरकार के गठन की संभावना तलाशने के लिए उन्हें 11 नवंबर तक का वक्त दिए जाने के मद्देनजर जंग ने कल राजनीतिक दलों से मशविरा किया था। न्यायालय आप की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने विधानसभा भंग किए जाने की मांग की थी।

फिलहाल सहयोगी अकाली दल के एकमात्र विधायक को मिलाकर भाजपा के पास 29 विधायक थे। भाजपा के तीन विधायकों के लोकसभा के लिए निर्वाचित हो जाने के बाद 70 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की संख्या 67 रह गई थी। ऐसे में सरकार बनाने के लिए भाजपा को पांच और विधायकों की जरूरत थी। चुनाव आयोग ने विधानसभा की तीन सीटों के लिए 25 नवंबर को उप चुनाव कराने की घोषणा की थी।

पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर जीत के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से वह चार सीट पीछे रह गई थी। भाजपा ने उस समय यह कहकर सरकार बनाने से इनकार कर दिया था कि वह सत्ता के लिए कोई अनुचित तरीका नहीं अपनाएगी। आप ने कांग्रेस विधायकों के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई थी।

भाजपा और कांग्रेस के विरोध के चलते दिल्ली विधानसभा में लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो पाने पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार ने 14 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। दिल्ली में 17 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। जंग ने केजरीवाल नीत मंत्रिपरिषद की विधानसभा भंग करने की सिफारिश का पक्ष नहीं लिया और विधानसभा को निलंबित रखा।

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