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निजी क्षेत्र में आरक्षण की उम्मीद धूमिल पड़ी

प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों मेंं कमजोर तबकों के नौजवानों को आरक्षण देने के मसले पर सरकार और तीन प्रमुख उद्योग और वाणिज्य चैम्बरों की मंगलवार को होने वाली बैठक शुरू होने से दस मिनट पहले ही रद्द कर दी...

 निजी क्षेत्र में आरक्षण की उम्मीद धूमिल पड़ी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों मेंं कमजोर तबकों के नौजवानों को आरक्षण देने के मसले पर सरकार और तीन प्रमुख उद्योग और वाणिज्य चैम्बरों की मंगलवार को होने वाली बैठक शुरू होने से दस मिनट पहले ही रद्द कर दी गई। बैठक की सदारत उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक संवर्धन विभाग में सचिव अजय शंकर को करनी थी। बैठक में शामिल होने के लिए फिक्की, एसोचैम और सीआईआई के प्रतिनिधि पहुंचे भी। लेकिन बैठक को कारण बताए बिना ही रद्द कर दिया गया। यह आगे कब होगी, इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है। सूत्रों का कहना है कि तीनों चैम्बरों के आरक्षण पर किसी भी सूरत में न झुकने की लाइन से खफा सरकार ने बैठक को रद्द कर दिया। चैम्बरों की इस राय को और धार मिल गई है के.वी.कामथ के सीआईआई के अध्यक्ष बनने के बाद। वे तो आरक्षण के लिए कतई तैयार नहीं हैं। बाकी चैम्बरों ने भी इसी तरह की लाइन ले रखी है। ये एफरमेटिव एक्शन के नाम पर पिछड़ों के लिए शिक्षा और औद्योगिक ट्रेनिंग देने की व्यवस्था के लिए तो तैयार है, पर आरक्षण को नहीं मान रहे। उधर, यूपीए सरकार में दो शक्ितशाली मंत्री क्रमश: रामविलास पासवान और मीरा कुमार दबाव बना रहे हैं कि प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में आरक्षण अवश्य लागू होना चाहिए। ऐसा किए बिना अनुसूचित जाति और जनजाति के युवाओं को उनका हक नहीं मिल पाएगा। महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह भी इस मसले पर बहुत संवेदनशील बताए जाते हैं। उन्होंने अपने प्रमुख सचिव टी.के. नैयर को उस कमेटी का अध्यक्ष बनाया हुआ है जिसे निजी क्षेत्र में आरक्षण को लागू करने के काम को अंजाम देना है। सूत्र कह रहे हैं कि देर-सवेर प्राइवेट सेक्टर को नौकरियों में आरक्षण देना ही होगा।

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