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तिहाड़ से चल रहा था ड्रग्स का धंधा

अतिसुरक्षित तिहाड़ जेल के एक कैदी द्वारा जेल की कोठरी से ही मादक पदार्थो की बिक्री का धंधा चलाने की बात जब पहले-पहल सामने आई थी तो इसे दबी जुबान से ही स्वीकारा गया। लेकिन अब इस अखबार के हाथ लगे...

 तिहाड़ से चल रहा था ड्रग्स का धंधा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अतिसुरक्षित तिहाड़ जेल के एक कैदी द्वारा जेल की कोठरी से ही मादक पदार्थो की बिक्री का धंधा चलाने की बात जब पहले-पहल सामने आई थी तो इसे दबी जुबान से ही स्वीकारा गया। लेकिन अब इस अखबार के हाथ लगे दस्तावेजों से साफ है कि वाकई तिहाड़ जेल से ड्रग्स का कारोबार चल रहा था। शराफत शेख नामक कैदी पर दो मोबाइल फोनों के जरिये सालाना करीब पांच सौ करोड़ का ड्रग्स धंधा चलाने का आरोप है। जेल में बंद शराफत शेख की फोन कॉल सितंबर 2007 के आसपास दिल्ली पुलिस के नारकोटिक्स विभाग ने टैप की थीं। उन्होंने जब जेल अधिकारियों को ये रिकॉर्ड दिखाए तो उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ। उसी समय इस अखबार द्वारा संपर्क किए जाने पर जेल अधिकारियों ने ऐसे किसी वाकये से इंकार किया था। लेकिन दस्तावेजों से साफ है कि राजधानी का कुख्यात ड्रग माफिया शेख जेल से ही अपना धंधा चला रहा था। एफआईआर में दर्ज ब्योर के मुताबिक शेख ने 8 सितंबर को रात 11:25 पर और सितंबर को सुबह 8:58 पर अपने बेटे वसीम से बात की। शेख ने और वसीम ने नंबर वाला फोन इस्तेमाल किया। 130 सेकेंड की पहली कॉल में शेख ने वसीम को सुबह आठ बजे ऑफिस पहुंचने को कहा। उसने कहा, ‘मैं एक लड़के को भेजूंगा।.. तुम्हें बता दूंगा कि सुबह कब आओ।’ वहीं 132 सेकेंड की दूसरी कॉल में उसने वसीम से कहा कि नारुल चाचा से कहो कि उससे बात कर ले। ‘मैंने 000 रुपये लिए हैं।.. उनसे कहो कि माल अच्छी क्वालिटी का है।’ इन फोन कॉल को टैप किए जाने के बाद सितंबर को ही नारकोटिक्स ब्रांच ने एनडीपीएस कानून के तहत मामला दर्ज किया और शेख व उसके बेटे समेत छह लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। एफआईआर और आरोपपत्र दोनों में ही यह स्पष्ट है कि शेख जेल से ड्रग्स का धंधा चला रहा था। पूछताछ में उसने कहा कि उसे मोबाइल फोन और सिम कार्ड साथी कैदियों के जरिये मिले थे।ं

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