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अजरुन के निशाने पर अब आलाकमान

ांग्रेस के दिग्गज नेता और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह ने हाई कमान के निर्देशों और आदेशों के बारे में सपाट बयानी करते हुए कहा है कि पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया में बिखराव आ...

 अजरुन के निशाने पर अब आलाकमान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ांग्रेस के दिग्गज नेता और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह ने हाई कमान के निर्देशों और आदेशों के बारे में सपाट बयानी करते हुए कहा है कि पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया में बिखराव आ गया है जिससे लोग उनका उल्लंघन करने में दिक्कत महसूस नहीं करते। अजरुन सिंह ने कांग्रेस में निर्णय लेने की प्रक्रिया में खोट आने की यह बात मोहि कहां विश्राम पुस्तक में एक साक्षात्कार में स्वीकार की है।ड्ढr ड्ढr यह पुस्तक सिंह के जीवन पर लिखी गई है। इसके संपादक डा. कन्हैया लाल नंदन ने उनसे राजनीति से लेकर सामाजिक परिवेश तक और सैक्स शिक्षा से लेकर फिल्मों में उनकी रूचि तक पर दिलचस्प बातचीत की है। राजनीतिक दलों में हाईकमान के निर्देशों और आदेशों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस में बड़े से बड़ा निर्णय लिए जाने से पहले उसमें योगदान देने की स्वतंत्रता हुआ करती थी जिसमें अब बिखराव आ गया है। राम सेतु के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह आस्था का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि भगवान राम के बारे में कोई विवाद पैदा करने का कोई औचित्य नहीं है। सिंह का यह रामभक्त चेहरा भी मोहि कहां विश्राम में ही सामने आया है। कन्हैया लाल नंदन को दिए साक्षात्कार में अजरुन सिंह ने सेतु समुद्रम के बारे में पूछने पर कहा-भगवान राम के बारे में कोई भी विवाद न कोई आधार पा सकता है और न ही उसका कोई औचित्य ही है। यह आस्था का प्रश्न है। दूसरा कोई क्या सोचता है इस पर विचार ही क्यों किया जाए। राम सेतु के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे के लिए उन्होंने अफसरों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राम सेतु के बारे में इतना ही कह देना काफी था कि इस विषय पर ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। उलटे कह दिया गया कि उसका इतिहास नहीं है। अजरुन सिंह पर लिखी गई इस पुस्तक में उनकी राम भक्ित स्पष्ट करते हुए उनका चित्र प्रकाशित किया गया है जिसके नीचे चौपाई लिखी है-रामकाज कीन्हें बिना मोहि कहां विश्राम। इसी को पुस्तक के शीर्षक का आधार भी बनाया गया है। आस्था के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि आस्थाओं के सही मूल्य को जो समझेगा वह उसके साथ खिलावाड़ नहीं करेगा।

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