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सूबे में नक्सलियों का टूटा कहर

गया में नक्सलियों ने घर उड़ायाड्ढr प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी के हथियार बंद दस्ते ने बाराचट्टी थाने के देवनियां गांव पर मंगलवार की रात हमला बोलकर एक ग्रामीण के पक्के मकान को डायनामाइट से...

 सूबे में नक्सलियों का टूटा कहर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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गया में नक्सलियों ने घर उड़ायाड्ढr प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी के हथियार बंद दस्ते ने बाराचट्टी थाने के देवनियां गांव पर मंगलवार की रात हमला बोलकर एक ग्रामीण के पक्के मकान को डायनामाइट से उड़ा दिया तथा खपड़ैल मकान आग लगाकर फूंक दिया। नक्सलियों ने मकान को फूंकने और डायनामाइट से उड़ाने से पूर्व घर के सारे सामान को निकालकर अपने तीन वाहनों पर लाद लिया। नक्सली हमले के बाद एक हीरोहोंडा मोटरसाइकिल , एक मोबाइल तथा भैंस-गाय भी अपने साथ लेकर चले गए। दूसरी ओर मोतिहारी के मधुबनी घाट गांव में मंगलवार की रात हुई पूर्व मुखिया नंदलाल प्रसाद की हत्या के बाद संदिग्ध नक्सलियों की धर-पकड़ के लिए बुधवार को सीआरपीएफ व एसटीएफ को लगाया गया है। टीम ने फकीरा टोला,वरदाहां, खाप, ढेकहां आदि गांवों में छापेमारी की जिसमें यह तथ्य उभरकर सामने आया कि इस कार्रवाई में शिवहर व सीतामढ़ी के भी नक्सली शामिल थे। इनकी धरपकड़ के लिए छापेमारी की जा रही है। अबताया जाता है कि घटना को अंजाम देने के लिए नक्सली बाराती बन कर आए थे। माओवादियों के हथियारबंद दस्ते ने करीब दो घंटे तक देवनियां गांव के रघुवीर यादव के घर यह कारनामा किया। बताया जाता है कि लंबे समय से नक्सलियों के निशाने पर रहे रघुवीर यादव से माओवादियों ने हथियार की मांग की थी।ड्ढr ड्ढr रघुवीर यादव रोहतास में माओवादियों के हाथों मारे गए शंभू यादव का रिश्तेदार है। वे नक्सलियों का इसलिए भी कोपभाजन बने हुए थे कि शंभू यादव नक्सल विरोधी गतिविधियों में लिप्त था। मंग़लवार की रात करीब 11 बजे पांच सौ की संख्या में आए नक्सलियों ने सर्वप्रथम रघुवीर यादव के कच्चे व पक्के मकान को घेर लिया। घर में प्रवेश कर माओवादियों ने सभी परिवार को कब्जे में कर बाहर निकाला। घर में रहे चावल, दाल, गेहूं इत्यादि अनाज, कपड़ा, जेवर इत्यादि को अपने साथ लाएं तीन कमांडर वाहनों पर लाद दिया और मकान ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की। पहले कच्चे मकान में आग लगाई और उसके बाद पक्के मकान को डायनामाइट लगाकर उड़ा दिए। नक्सली मकान और संपत्ति का आपरेशन कर पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाते जंगल की ओर निकल गए। दस्ता में महिला और बच्चे भी शामिल थे। सभी नक्सली हरी वर्दी में थे। चार सौ घर के रहे देवनियां गांव में दो घंटे तक रहे नक्सलियोन का किसी ने विरोध नहीं किया। सुबह में बाराचट्टी थाने की पुलिस के साथ शेरघाटी के डीएसपी बलिराम चौधरी ने वहां पहुंचकर घटना का जायजा लिया। इस सिलसिले में अज्ञात नक्सलियों पर बाराचट्टी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। झारखंड में दारोगा शहीद, तीन जख्मीड्ढr टाटीझरिया (सं.)। नक्सलियों ने बुधवार को हाारीबाग-गिरिडीह को जोड़नेवाले नेशनल हाइवे पर उतरकर पुलिस और सरकार को खुलेआम चुनौती दी। एसएलआर, एके-47, एके-56 और आधुनिक इंसास रायफलों से लैस तकरीबन एक हाार नक्सली हाारीबाग जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर और विष्णुगढ़ प्रखंड से आठ किलोमीटर दूर टाटीझरिया के पास सुबह छह बजे से अपराह्न एक बजे-पूरे सात घंटे तक जमे रहे। इस दौरान उन्होंने गिरिडीह जिला पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ओलिवर तिर्की की गोली मारकर हत्या कर दी। नक्सली सड़क पर खड़े पुलिस को ललकारते रहे और प्रशासन-सरकार के तमाम तंत्र घंटों बेखबर रहे। हाारीबाग-गिरिडीह जिले की पुलिस तो मौके पर पहुंचने की हिम्मत नहीं ही जुटा पायी, विष्णुगढ़ में मौजूद सीआरपीएफ कैंप में भी घंटों कोई हलचल नहीं हुई। नक्सली 21 अप्रैल को टाटीझरिया में फायिरग के दौरान एक ग्रामीण असलम अंसारी की मौत की घटना के विरोध में सड़क पर उतर थे।ड्ढr सुबह साढ़े आठ बजे हाारीबाग-बगोदर सड़क पर रोल पत्थर के पास माओवादियों द्वारा की गयी कार्रवाई ने पुलिस के दावे की हवा निकाल दी। बीते कुछ महीनों के अंदर भाकपा माओवादियों ने विष्णुगढ़ इलाके में कहर बरपा किया है। तीन अप्रैल को बनासो में बारूदी सुरंग विस्फोट की घटना, 14 जनवरी को कोरनागड्ढा में पुलिस नक्सली मुठभेड़, 7 दिसंबर को बनासो में माओवादियों का प्रदर्शन और बगोदर के रामजी गुप्ता को गोली मारने की घटना, बनासो चौक पर प्रदर्शन, चानो में सामुदायिक भवन उड़ाने की घटना और 6 घंटे तक हाारीबाग-बगोदर सड़क को अपनी गिरफ्त में लेकर माओवादियों ने संकेत दिया है कि वे दिन के उााले में भी आमने-सामने कार्रवाई करने में सक्षम है। बुधवार की घटना इसी का प्रमाण है। राज्यमार्ग पर पूर छह घंटे माओवादी डटे रहे। पुलिस की गाड़ियों के काफिले के साथ हाारीबाग और गिरिडीह के एसपी एवं डीएसपी छह घंटे बाद घटना स्थल पहुंचे। तबतक माओवादियों का दस्ता कार्रवाई को अंजाम देकर, भाषण देकर और पुलिस के तमाम दावों की पोल खोलकर जंगलों में समा चुका था।

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