दुनिया ध्यान रखे, म्यांमार का
वैसे तो बर्मा यानी म्यांमार में तानाशाही है और भारत को इसका जितना विरोध करना चाहिए, उतना भारत ने कभी नहीं किया। लेकिन फिलहाल यह पड़ोसी देश जिस संकट से गुजर रहा है, वह इससे बहुत अलग है। यह कुदरती कहर...
वैसे तो बर्मा यानी म्यांमार में तानाशाही है और भारत को इसका जितना विरोध करना चाहिए, उतना भारत ने कभी नहीं किया। लेकिन फिलहाल यह पड़ोसी देश जिस संकट से गुजर रहा है, वह इससे बहुत अलग है। यह कुदरती कहर है, जो वहां की तानशाही के लिए नहीं, वहां के नागरिक समाज के लिए संकट है। हम जब लोकतंत्र लाने या तानाशाही हटाने की बात करते हैं तो इसी नागरिक समाज के लिए करते हैं। इसलिए हमें शासन व्यवस्था की बात को भूलकर संकट में पड़े बर्मा के नागरिकों की पूरी मदद करनी चाहिए। लेकिन साथ ही सचेत रहने की जरूरत भी है। कहीं ऐसा न हो कि बर्मा की सैनिक सरकार इस संकट का फायदा लोकतंत्र समर्थकों का गला घोंटने के लिए कर। दुनिया को इसका ध्यान रखना ही होगा।ड्ढr महेंद्र अज्ञानी, फरीदाबाद अब वह उत्साह कहां भारतीय रॉकेट ने एक साथ दस उपग्रह छोड़े। यह एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन इसकी खुशी कहीं बहुत ज्यादा नहीं दिखी। एक दिन के लिए मीडिया ने इस पर थोड़ा-बहुत छापा और दिखाया लेकिन फिर क्या हुआ। एक दौर था जब ऐसी छोटी-छोटी उपलब्धियों के काफी समय तक चर्चा होती थी। जब भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट छोड़ा था तो हमार स्कूल में कई रो तक सुबह की प्रार्थना के बाद अध्यापक और कई छात्र इसके बार में बताते थे। जिसके लिए तैयारी होती थी, अखबारों में विशेषज्ञों की राय पढ़ी जाती थी। पर अब क्यों नहीं होता? और इसके बाद हमारी शिकायत होती है कि प्रतिभाएं विज्ञान की ओर नहीं आ रहीं। वे आएं इसका माहौल ही आपने कहां रहने दिया।ड्ढr विक्रम चंद राठौर, सेक्टर- 11, नोएडा बीआरटी समाधान नहीं सरकार के पास अगर दिल्ली की ट्रैफिक समस्या का समाधान नहीं है तो उसे दो काम करने चाहिए। एक तो पूर एनसीआर का विस्तार तुरंत रोक देना चाहिए। वहां नए उद्योग व काम-धंधे खोलने पर रोक लगा देनी चाहिए। और दिल्ली से 200 किलोमीटर की दूरी पर छोटे-छोटे ऐसे आधुनिक शहर बनाने चाहिए, जहां नए उद्योग ध्ांधे खुलें और नागरिकों के लिए सारी सुविधाएं भी हों। अब यह साफ हो जाना चाहिए कि बीआरटी और फ्लाईओवर जसी चीजें समाधान नहीं हैं। आश्रम के फ्लाईओवर पर हर समय लगे रहने वाले जाम से कलई खुल गई है।ड्ढr हरीश, शकरपुर, दिल्ली जया जी पीछे क्यों रह गईं? अच्छा लगा जब महिला आरक्षण विधेयक के बाद एक-दूसर से रािंश रखने वाले दलों की महिला सांसद एकसाथ आकर विजयी भाव से खड़ी हुईं। लेकिन उसमें सपा सांसद जया बच्चन को न देखकर हैरत भी हुई। क्या समाजवादी पार्टी की राजनीति ने उनसे उनका महिला बोध भी छीन लिया है? या फिर बिग बी परिवार के लिए ऐसी छोटी-छोटी बातें कोई अर्थ नहीं रखतीं?ड्ढr कंचन रस्तोगी, मोदीनगर कौन रोकेगा हमें? जसे राजनीतिक दल तमाम असंसदीय किस्म की कोशिशों के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक को नहीं रोक सके, वे सक्रिय जीवन और राजनीति में महिलाओं का आगे आना भी नहीं रोक सकते। महिलाएं तो आगे आएंगी ही, चाहे आरक्षण से आएं या बिना आरक्षण के।ड्ढr पूनम खर, रोहिणी, दिल्ली