निकायों को इमरचोंसी फंड देने पर विचार
नगर विकास विभाग निकायों को इमरजेंसी फंड देने पर विचार कर रहा है। निकायों की शिकायत है कि टेंडर प्रक्रिया में देरी के कारण जनसमस्याओं का निदान तुरंत संभव नहीं है। ऐसी अवस्था में लोगों के आक्रोश का...
नगर विकास विभाग निकायों को इमरजेंसी फंड देने पर विचार कर रहा है। निकायों की शिकायत है कि टेंडर प्रक्रिया में देरी के कारण जनसमस्याओं का निदान तुरंत संभव नहीं है। ऐसी अवस्था में लोगों के आक्रोश का सामना जनप्रतिनिधियों को ही करना पड़ता है। निकाय के सरकारी कर्मियों को नागरिकों के आक्रोश से सीधा पाला नहीं पड़ता है। नगर विकास विभाग में सूबे की सातों नगर निगमों की बैठक में जनप्रतिनिधियों ने सरकार के समक्ष इस संदर्भ में काफी मजबूती से अपना पक्ष रखा।ड्ढr ड्ढr जनप्रतिनिधियों ने विभागीय प्रधान सचिव से कहा कि सरकार को लगता है कि जनप्रतिनिधि चोर हैं तो उसको रोकने की वह सारी व्यवस्था कर। जनप्रतिनिधियों को इसमें कोई आपत्ति नहीं है। पर टेंडर प्रक्रिया में देरी का खामियाजा लोगों को नहीं भुगतने दिया जाएगा। चाहे 30 हजार का काम हो या 30 लाख का, सभी कामों में टेंडर करने की बाध्यता निकायों के हित में नही हैं। भारी बारिश के कारण नाले-नालियों का टूटना, सड़क क्षतिग्रस्त होना या पेयजलापूर्ति सिस्टम में छोटी-मोटी खराबी भी ठीक करने का अधिकार जनप्रतिनिधियों को नहीं है। ऐसी अवस्था में निकाय के सरकारी बाबुओं की चिरौरी के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता है।ड्ढr ड्ढr इस संदर्भ में विभागीय प्रधान सचिव द्वारा किसी भी तरह का आश्वासन नहीं देने पर जनप्रतिनिधि काफी मायूस दिखे। पर नगर विकास एवं आवास मंत्री भोला सिंह ने जनप्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि सरकार जनप्रतिनिधियों की इस आवश्यक मांग पर विचार करगी। ऐसा नहीं होगा कि टेंडर प्रक्रिया के कारण शहरी लोगों को परशानी का सामना करना पड़े। उन्होंने कहा कि निगम प्रमुखों को भी सभी वार्डो की समस्याओं के साथ एक समान बर्ताव करना होगा। उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं का क्रियान्वयन विभागीय कराने पर भी सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।ं