फोटो गैलरी

Hindi News विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी खोलेगी सेना

विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी खोलेगी सेना

चीन के साथ सैन्य संतुलन साधने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण सामरिक कदम उठाते हुए भारतीय वायु सेना लद्दाख क्षेत्र में करीब 17000 फुट की ऊंचाई पर एक हवाई पट्टी को फिर से चालू करने जा रही है। वायु...

 विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी खोलेगी सेना
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

चीन के साथ सैन्य संतुलन साधने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण सामरिक कदम उठाते हुए भारतीय वायु सेना लद्दाख क्षेत्र में करीब 17000 फुट की ऊंचाई पर एक हवाई पट्टी को फिर से चालू करने जा रही है। वायु सेना के सूत्रों ने बताया कि ‘दौलत बेग आेल्दी डीबीआे’ नाम की यह हवाई पट्टी आखिरी बार 1में इस्तेमाल की गई थी, जो चीन द्वारा हड़प लिए गए अकसाई चीन क्षेत्र से महज दस किलोमीटर की दूरी पर है। इस हवाई पट्टी को विमान उतरने लायक बनाने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है और 43 साल बाद इसके अगले महीने चालू हो जाने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि हवाई पट्टी की सतह को एएन 32 जैसे परिवहन विमान उतरने के लिए मजबूत बनाया जा रहा है और वहां स्थित हेलीपैड को एक किनारे पर खिसकाया गया है। यह काम अब लगभग पूरा होने को है। करीब 2000 फुट की यह हवाई पट्टी चालू होने पर विश्व का सबसे ऊंचा एयरफील्ड होगा, जहां विमान उतर सकेंगे और उड़ान भर सकेंगे। दौलत बेग आेल्दी हवाई पट्टी को चालू करना देश की पूर्वी सीमा को चाक चौबंद करने के लिए तेजी से चल रहे प्रयासों का हिस्सा है। हाल के दिनों में लद्दाख से लेकर अरूणाचल तक सरकार चीन से लगी पूरी सीमा के आसपास ढांचागत सुविधाआें पर खास ध्यान दे रही है। सिक्िकम और अरूणाचल प्रदेश समेत पूवर्ोत्तर क्षेत्र में 32 एयरफील्ड को सक्रिय बनाया जा रहा है। इनमें से आठ एयरफील्ड अकेले अरुणाचल की तावांग घाटी में है। तावांग की हजार वर्ग किलोमीटर की घाटी पर चीन अपना दावा करता रहा है जिसे भारत गैर कानूनी करार दे चुका है। इस बीच तेजपुर में भी भारतीय वायु सेना अपने एयरबेस को नया रूप दे रही है और वहां सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों का एक स्क्व्रेडन तैनात किए जाने की योजना है। शुमित मुखर्जी कमेटी वायु सेना के संसाधनों की नए सिरे तैनाती के बारे में आगामी दस साल की योजना पर अपनी रिपोर्ट दे चुकी है और समझा जाता है कि उसमें भी पूर्वी सीमा पर खास ध्यान देने की बात कही गई है। दूसरी आेर सीमा सड़क संगठन चीन से लगी पूरी सीमा के आसपास 61 सड़कों के निर्माण को सवर्ोच्च प्राथमिकता देने की घोषणा कर चुका है। इनमें से 27 सड़कें अरूणाचल में हैं। करीब 3400 किलोमीटर की सड़कों का यह जाल 2012 तक बनकर तैयार हो जाएगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें