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तकनीकी शिक्षा के विकास के लिए नीति घोषित

राज्य सरकार ने ‘पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप’ के आधार पर राज्य में तकनीकी शिक्षा के विकास की नीति को स्वीकृति प्रदान की है। इसके अलावा लखनऊ के इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आई.ई.टी) को...

 तकनीकी शिक्षा के विकास के लिए नीति घोषित
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज्य सरकार ने ‘पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप’ के आधार पर राज्य में तकनीकी शिक्षा के विकास की नीति को स्वीकृति प्रदान की है। इसके अलावा लखनऊ के इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आई.ई.टी) को उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय का हिस्सा बना दिया है। इसके साथ कालेज आफ आर्कीटेक्चर को विश्वविद्यालय की फैकल्टी का दर्जा दे दिया है। सरकार ने ‘विभागीय विवाद समाधान फोरम’ के गठन, वाणिज्य कर और स्टाम्प व निबंधन विभाग के पुनर्गठन करने का भी निर्णय लिया है। ‘आजमगढ़ विकास प्राधिकरण’ और ‘बागपत-बड़ौत-खेकड़ा विकास प्राधिकरण’ का भी गठन किया जाएगा।ड्ढr राज्य मंत्रिपरिषद की शनिवार को यहाँ हुई बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप के आधार पर राज्य में पाँच-पाँच सौ करोड़ रुपए की लागत से आईआईटी स्तर का एक इंजीनियरिंग कालेज और एक आईआईएससी स्तर का इंजीनियरिंग कालेज निजी क्षेत्र की सहभागिता से स्थापित किया जाएगा। इंजीनियरिंग कालेजों में एक अम्बेडकरनगर में और दूसरा आजमगढ़ में स्थापित होगा। प्रदेश में कम से कम 50 नए पालीटेकनीक स्थापित किए जाएँगे। प्रत्येक विकास खण्ड में एक-एक आईटीआई खोलने के लिए 250 आईटीआई का प्रस्ताव है। नई संस्थाओं के अलावा वर्तमान में चल रहे पालीटेकनीक और आईटीआई में निजी क्षेत्र की मदद ली जाएगी। लखनऊ के इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आई.ई.टी) और कालेज आफ आर्कीटेक्चर के यूपी टेक्नीकल यूनिवर्सिटी में विलय के बाद इन दोनों संस्थाओं के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सेवा शर्ते पूर्ववत् या उनके द्वारा दिए जाने वाले विकल्प के अनुसार निर्धारित की जाएँगी। इन संस्थानों को अब राज्य सरकार के अलावा यूजीसी से भी अनुदान मिल सकेगा। अब उप्र प्राविधिक विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में निहित होगा। ‘विभागीय विवाद समाधान फोरम’ के गठन करने के निर्णय के तहत विभिन्न विभागों के सेवा संबंधी ऐसे मामले त्वरित गति से निपटाए जाएँगे, जिसमें राज्य सरकार भी एक पक्षकार है और वे मामले उच्च न्यायालय में लम्बित हैं। ऐसे विभाग जहाँ लम्बित वादों की संख्या कम है, वहाँ विवाद समाधान संबंधी कार्यवाही विभागीय नोडल अधिकारी के स्तर पर की जाएगी। लेकिन जिन विभागों में ऐसे मामलों की संख्या अधिक है, वहाँ का नोडल अधिकारी फोरम में मामले भेजने के पहले मुख्य सचिव का अनुमोदन लेगा। वाणिज्य कर विभाग में पुनर्गठन के निर्णय के बाद अब इस विभाग में विभिन्न स्तर अधिकारियों और कर्मचारियों के पदों में वृद्धि के साथ ही 20 टैक्स आडिट इकाई, छह अतिरिक्त जोन, 1अतिरिक्त खण्ड, 45 फार्म सेल, रीजनल सेंटर के रूप में दो नए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना और ज्वाइंट कमिश्नर (कारपोरट सेल) के पदों का सृजन किया जाएगा। इसके साथ ही बड़े व्यापारी घरानों और कारपोरट बाडीज का कर निर्धारण कराए जाने, ज्वाइंट कमिश्नर अपील के स्थान पर 37 जाँच चौकियाँ रखी जाएँगी। सचल दल की 55 इकाइयों के स्थान पर अब 150 सचल दल इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी। प्रत्येक राजस्व मण्डल में एक उपमहानिरीक्षक निबंधनउपायुक्त स्टाम्प तैनात किए जाएँगे। मेरठ और लखनऊ मण्डल में दो-दो उपमहानिरीक्षक निबंधन उपायुक्त स्टाम्प होंगे। तृतीय श्रेणी कर्मचारियों का वाणिज्य कर अधिकारी के पद पर पदोन्नति के लिए वर्तमान में स्वीकृत 33 फीसदी कोटे के स्थान पर 50 फीसदी कोटा होगा। राज्य सरकार ने दो और विकास प्राधिकरणों के गठन का निर्णय लिया है। आजमगढ़ विकास प्राधिकरण में आजमगढ़ नगरपालिका और 15राजस्व ग्रामों को शामिल किया जाएगा। इसी तरह ‘बागपत-बड़ौत-खेकड़ा विकास प्राधिकरण’ का भी गठन करने का निर्णय राज्य मंत्रिपरिषद ने लिया है। इस प्राधिकरण में जनपद बागपत के अंतर्गत आने वाले नगरीय क्षेत्र की बागपत नगरपालिका परिषद, बड़ौत नगर पालिका परिषद, खेकड़ानगर पंचायत और अग्रवाल मण्डी टटीरीनगर पंचायत के अलावा 6ग्राम शामिल होंगे।ं

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