फोटो गैलरी

Hindi News नेहरू-गांधी परिवार के वफादार बने रहेंगे अजरुन

नेहरू-गांधी परिवार के वफादार बने रहेंगे अजरुन

ांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह ने अपनी तरफ से ‘सीजफायर’ घोषित कर दिया है। अपने हाले के बयानों और ‘मोहिं कहां विश्राम’ को लेकर उठे विवाद और इस क्रम में पार्टी के नेताओं...

 नेहरू-गांधी परिवार के वफादार बने रहेंगे अजरुन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

ांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह ने अपनी तरफ से ‘सीजफायर’ घोषित कर दिया है। अपने हाले के बयानों और ‘मोहिं कहां विश्राम’ को लेकर उठे विवाद और इस क्रम में पार्टी के नेताओं की तरफ से उन्हें लक्ष्य कर किए जा रहे चौतरफा प्रहारों के बीच श्री सिंह ने रविवार को कहा,‘‘मैं इस बारे में किसी से उलझना नहीं चाहता और अपने उन साथियों के विचारों का आदर करता हूं जिन्होंने इस मामले में टिप्पणी करना उचित समझा है।’’ उन्होंने कहा कि इस मामले में अब वह किसी और प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ हैं तथा इस अध्याय को यहीं विराम दे रहे हैं।ड्ढr श्री सिंह ने रविवार को यहां एक बयान जारी कर कहा, ‘‘पुस्तक के बारे में अनर्गल एवं बेतुका विवाद उठाए जाने से मुझे बेहद तकलीफ हुई है।’’ श्री सिंह ने कहा,‘‘मार्च 10 में मैंने पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनके परिवार को अपनी सम्पूर्ण वफादारी का वचन दिया था जिसका मैंने जीवन के 48 वर्षो में पूरी निष्ठा से पालन किया है। मैं इस (नेहरू-गांधी) परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति भी इस निष्ठा को जीवन पर्यंत बनाए रखूंगा।’’ उन्होंने अपनी आत्म कथा लिखने और उसके शीघ्र प्रकाशन का संकेत देते हुए स्पष्ट किया कि ‘मोहिं कहां विश्राम’ आत्मकथा नहीं बल्कि समय-समय पर उनके बार में लिखे गए लेखों और साक्षात्कारों का संग्रह है। पुस्तक की प्रथम प्रति राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को भेंट किए जाने के मौके पर पार्टी में वफादारी के सवाल पर उनकी टिप्पणियों तथा पुस्तक में उनके एक साक्षात्कार में पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया में बिखराव को लेकर श्री सिंह के बयानों पर पार्टी में उनकी जबरदस्त आलोचना शुरू हो गई। आर के धवन, वीरप्पा मोइली, सलमान खुर्शीद, अजीत जोगी से लेकर पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह तथा वी नारायण सामी ने भी नेतृत्व की निर्णय प्रक्रिया के बार में उनके बयान को झूठा करार देते हुए उनपर राजनीतिक हमले शुरू कर दिए। अगले ही दिन उनका और श्रीमती गांधी का आमना-सामना जामिया मिल्लिया हमदर्द विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हुआ था। समारोह में पूरे समय श्रीमती गांधी ने श्री सिंह के प्रति बेरुखी बनाए रखी। अपने भाषण में उन्होंने श्री सिंह का नाम तक नहीं लिया। ं

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें