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उत्तराखंड विधानसभा में जमकर तोड़फोड़ और हाथापाई

उत्तराखंड के इतिहास में सोमवार को पहली बार प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने विश्वविद्यालय विधेयक की प्रतियां अध्यक्ष हरवंश कपूर की और फेंककर सदन में जमकर तोड़फोड़...

 उत्तराखंड विधानसभा में जमकर तोड़फोड़ और हाथापाई
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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उत्तराखंड के इतिहास में सोमवार को पहली बार प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने विश्वविद्यालय विधेयक की प्रतियां अध्यक्ष हरवंश कपूर की और फेंककर सदन में जमकर तोड़फोड़ की और सचिव से हाथापाई की। सुबह से विपक्ष के शोरशराबे के कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित रहने के बाद जब अपरान्ह बारह बजकर बीस मिनट पर काम फिर से शुरू हुआ तो पांच मिनट बाद ही अचानक प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह रावत (कांग्रेस) ने विश्वविद्यालय विधेयक की प्रति फाड़ कर अध्यक्ष की और फेंक दी। उनके साथ ही बसपा और कांग्रेस के अन्य सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और उन्होंने सचिव से कागजात छीन लिए। इस दौरान हुई हाथापाई में सचिव का चश्मा गिर गया। सदस्यों ने सचिव और उनके सामने रखी मेज कुर्सियों को उठाकर पलट दिया और सामन इधर-उधर फेंक दिया। अचानक हुए इस हमले से सब हक्काबक्का थे। तब अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अपरान्ह तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। उनके सदन से चले जाने के बाद भी विपक्ष के सदस्य फर्नीचर उठाकर फेंकते रहे। मार्शलांे ने उन्हें रोका। विपक्ष के व्यवहार से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भी उत्तेजित हो गए लेकिन संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पन्त और स्वास्थ्य मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उन्हे शांत रहने को कहा। लेकिन भाजपा सदस्यों ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विपक्ष की आलोचना की। इससे पूर्व राय में बिगड़ती कानून व्यवस्था, पेयजल की कमी और शिक्षकों कीपदोन्नति जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष अध्यक्ष के आसन के सामने नारे लगाता रहा जिसके कारण अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित की और प्रश्न काल नहीं हो सका। पूर्वान्ह ग्यारह बजे जैसे ही कपूर ने कार्यवाही शुरू की, कांग्रेस और बसपा के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और नियम 310 के तहत अपने नोटिस पर चर्चा कराने की मांग करने लगे। कपूर ने प्रश्न काल के बाद नोटिस की ग्राहय्ता पर चर्चा कराने की व्यवस्था दी लेकिन सदस्य आसन के सामने नारे लगाते रहे। अध्यक्ष ने बार-बार सदस्यों से अपनी-अपनी सीटों पर जाने का अनुरोध किया लेकिन जब इन्होंने बात नहीं मानी तो अध्यक्ष ने दस मिनट बाद ही सदन की कार्यवाही साढ़े ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद पौने बारह बजे फिर बारह बजे और उसके बाद बारह बजकर बीस मिनट तक सदन की कार्यवाही स्थगित रहने की सूचना दी गई। इसके बाद अध्यक्ष ने जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू की तो विपक्ष के सदस्य फिर आसन के सामने आकर नारे लगाने लगे। शोरशराबे के बीच ही अध्यक्ष ने कार्यवाही जारी रखी। वह रायपाल का संदेश सुनाने लगे तो सदस्य शांत हो गए लेकिन जैसे ही संदेश समाप्त हुआ सदस्य सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। अध्यक्ष ने नियम 310 के तहत उठाए गए मुद्दे पर बसपा नेता मोहम्मद शहजाद को बोलने के लिए कहा। शहजाद अपनी बात कह रहे थे तभी संसदीय कार्य मंत्री ने आपत्ति की कि सदस्य घटना विशेष का जिक्र नहीं कर रहे। इसी दौरान अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि शहजाद को ग्राह्यता पर बोलने की अनुमति दी गई है यह चर्चा नहीं है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और वे नारे लगाने लगे। अध्यक्ष ने कार्यवाही जारी रखते हुए ग्राह्यता अस्वीकार कर दी और अन्य दोनों मुद्दो पर भी सदस्य नहीं बोले। बारह बजकर 25 मिनट पर अचानक विश्वविद्यालय विधेयक को लेकर हंगामा शुरू हो गया।

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