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राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना लक्ष्य में नाकाम

जिले में राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना लक्ष्य की प्राप्ति में नाकाम रहा। इस योजना के तहत वर्ष 2006-07 में कुल 72,531 व्यक्ितयों को पेंशन देना था, जबकि वर्ष 2007-08 के लिए यह लक्ष्य 3निर्धारित...

 राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना लक्ष्य में नाकाम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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जिले में राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना लक्ष्य की प्राप्ति में नाकाम रहा। इस योजना के तहत वर्ष 2006-07 में कुल 72,531 व्यक्ितयों को पेंशन देना था, जबकि वर्ष 2007-08 के लिए यह लक्ष्य 3निर्धारित किया गया था। लेकिन इस दौरान कुल लोगों को पेंशन की स्वीकृति दी गई। जबकि कुल लक्ष्य 1,11,6निर्धारित था।ड्ढr ड्ढr हालांकि इस दौरान सैकड़ों आवेदन स्वीकृति की आस में पड़े रहे। और रिक्त नहीं होने की दुहाई देते हुए लोगों को इससे वंचित रखा गया। दूसरी ओर पिछले वर्ष नवंबर में शुरू हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत मात्र 338 वृद्धों को पेंशन स्वीकृत किया गया। जबकि इसके लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं था। इस योजना का क्रियान्वयन प्रखंड स्तर पर होना है। इसके तहत बीपीएल सूची में शामिल 65 वर्ष से ऊपर के सभी पुरुष एवं महिलाओं को पेंशन दिया जाना है। लेकिन अभी तक मात्र 338 लोगों को पेंशन की स्वीकृति दी गई है। सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में 2342 परिवारों को राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना के तहत सहायता राशि मुहैया करायी गई। अब तकनीकी संस्थान भी करंगे समाज सेवाड्ढr पटना (हि.प्र.)। अब तकनीकी संस्थानों द्वारा भी सामाजिक सेवा के कार्य किए जाएंगे। समाज के उत्थान से ही राज्य का उत्थान होता है। इसी को देखते हुए अमेरिका के विख्यात विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी संस्थान एमआईटी और बीआईटी, पटना के साथ अनुबंध हुआ है। इसी आधार पर दोनों संस्थाएं बिहार में सामाजिक सेवा का कार्य करंगी। एमआईटी के छात्र व पूर्ववर्ती छात्रों ने यूफोन व यूबॉक्स नामक दो उपकरणों को विकसित किया है। इसके माध्यम से ग्रामीण इलाकों में फैलने वाले टीबी रोग पर काबू पाया जा सकता है।ड्ढr ड्ढr इन उपकरणों के प्रशिक्षण के लिए 14 मई को बीआईटी, पटना में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है और इसमें एमआईटी के वैज्ञानिक भाग लेंगे। वहीं बीआईटी के दो दर्जन छात्र व शिक्षक इसमें प्रशिक्षण प्राप्त करंगे। इस संबंध में बीआईटी के कार्यक्रम संयोजक प्रो. डीपी सिंह ने बताया कि कुलपति डा. एचसी पांडेय के व्यक्ितगत प्रयास से यह संभव हो पाया है। टीबी के निदान व इलाज के लिए मधुबनी, समस्तीपुर व बिहारशरीफ का चयन किया गया है। यहां पर सबसे अधिक है। बीआईटी के प्रशिक्षित छात्र चुने हुए इलाकों में जाकर चुने हुए स्वयंसेवकों को इस रोग के निदान व इलाज की पद्धति बताएंगे। उपकरण यूफोन रोग की स्थिति का पता लगाता है और यूबॉक्स समय पर दवा के उपयोग के लिए रोगी को याद दिलाता है।

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