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लॉबी में उलझ गएविधायक वविधान पार्षद

विधान परिषद लॉबी में बुधवार को सदन का दृश्य सजीव हो उठा। जदयू विधाययक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और विधान पार्षद शिवप्रसन्न यादव इस सवाल पर उलझ गए कि पार्टी में सबसे ताकतवर कौन है। रणु कुशवाहा और छेदी...

 लॉबी में उलझ गएविधायक वविधान पार्षद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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विधान परिषद लॉबी में बुधवार को सदन का दृश्य सजीव हो उठा। जदयू विधाययक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और विधान पार्षद शिवप्रसन्न यादव इस सवाल पर उलझ गए कि पार्टी में सबसे ताकतवर कौन है। रणु कुशवाहा और छेदी पासवान भी बहस के मुद्दा बने। दूसर दलों के नेताओं ने दोनों के वाक्युद्ध का पूरा मजा लिया। उनकी टिप्पणी थी-लगता है जदयू में सबकुछ ठीक नहीं है।ड्ढr ड्ढr ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी से ऊपर बता रहे थे। उनका कहना था कि नीतीश हैं तभी पार्टी है। शिवप्रसन्न इससे सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि पार्टी है तभी नीतीश कुमार हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का महत्व कैसे नकार सकते हैं। इसपर ज्ञानू ने पलट कर जवाब दिया-दूसर किसी का कोई वैल्यू नहीं। मुख्यमंत्री के सहयोग बिना किसी में पांच हजार वोट लाने की भी कूबत नहीं है।ड्ढr ड्ढr लॉबी में मौजूद दूसर दलों के नेता भरपूर मजा ले रहे थे। इसी दौरान जदयू के ही अन्य विधान पार्षद रामबदन राय भी बहस में कूद पड़े-‘ मुख्यमंत्री और अध्यक्ष दोनों एक सिक्के के ही दो पहलू हैं।’ ज्ञानू ने भी स्वीकार किया कि प्रदेश अध्यक्ष उनके घनिष्ठ मित्र हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी उन्होंने पूरा सम्मान व्यक्त किया, लेकिन पार्षद ने उनकी बात खारिज कर दी,‘जब पार्टी में कोई नेता ही नहीं तो फिर रह क्या जाता है?’ चर्चा छेदी पासवान तक पहुंची तो पार्षद ने उन्हें बहादुर बताया और कहा कि बहादुर ही मंत्री बन सकते हैं। जब चर्चा विक्षुब्ध गतिविधि की हुई तो रणु कुशवाहा का मुद्दा छा गया। हालांकि ज्ञानू ने कई बार बात बदलकर माहौल शांत करने की कोशिश भी की, लेकिन वहां मौजूद ‘दोस्त’ थे कि उन्हें विषय बदलने ही नहीं दे रहे थे।

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