हजारीबाग नीलेंदु जयपुरियार। उग्रवादियों और उनके बारूदी सुरंग के खतरों ने पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (पीटीसी) हजारीबाग की ट्रेनिंग पद्धति बदल डाली है। पिछले एक साल से राज्य के इस एकलौते पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में अब आधुनिक हथियार, जंगल वार, बारूदी सुरंग की पहचान और टारगेट पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
इसके लिए संस्थान के संसाधनों के इस्तेमाल के अलावा देश-विदेश की तकनीक और बदलावों से भी पुलिस अधिकारियों को वाकिफ कराए जा रहे हैं। दो माह पूर्व राज्यभर के 60 पुलिस अधिकारियों को नेशनल पुलिस एकेड़ाी की 30 सदस्यीय टीम यहां प्रशिक्षण दे चुकी है। अब एकबार फिर यह टीम पहुंचनेवाली है।
जिसमें राज्य के साठ पुलिस अधिकारियों को टीम प्रशिक्षण देगी। हैदराबाद पुलिस एकाडेमी से लोटे पीटीसी के डीआइजी उपेंद्र कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आइजी ट्रेनिंग के साथ वहां काफी कुछ उन्होंने देखा। बताया कि दूसरे फेज के प्रशिक्षण के लिए शीघ्र टीम वहां से आयेगी, जिसपर सहमति उन्होंने दे दी है।
इसी तरह विस्फोटक पर संस्थान के पुलिस अधिकारी विजय कुमार डेढ़ माह का प्रशिक्षण लेकर अमेरिका से वापस लौट आए हैं। इसके साथ ही पीटीसी के बम स्क्वायड दस्ता में अधिकारियों की संख्या बढ़कर अब दो हो गई है।
बताया कि हैदराबाद की टीम द्वारा काउंटर इंटरजेंसी, टैक्टिकल ट्रेनिंग, नाइट फायरिंग, जंगल में फंसने पर भोजन की व्यवस्था से लेकर वहां से निकलकर टारगेट तक पहुंचने की टैक्टिस, उपलब्ध आधुनिक हथियारों एसएलआर, एके 47 और इनसास से थ्योरी और प्रक्टिकल कराते हुए टारगेट तक पहुंचने के गुर बताए गए।
डीआइजी के मुताबिक सबसे बड़ी बात भागते हुए में सटीक निशाने का अभ्यास रहा। बताया कि संस्थान में जीपीएस-नेवीगेशन के आधुनिक तकनीक से लेकर परम्परागत तकनीक कंपास से भी परिचित कराया जा रहा है।
ताकि राज्य के पुलिस अधिकारी हर परिस्थिति में सक्षम साबित हो सके। कहा कि प्रशिक्षण को उम्दा बनाने के लिए अभी राज्य मुख्यालय से स्नैपर रायफल और टेलिस्कोप की मांग की गई है।