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प्राचार्य पर सात करोड़ के गबन की प्राथमिकी

छपरा। हमारे प्रतिनिधि। जेपी विश्वविद्यालय के तहत चलने वाले संबद्ध कॉलेज देवराहा बाबा श्रीधर दास डिग्री कॉलेज, कदना (गड़खा) के प्राचार्य पर सात करोड़ रुपये के गबन के मामले में गड़खा थाने में शुक्रवार को...

प्राचार्य पर सात करोड़ के गबन की प्राथमिकी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 05 Jul 2014 12:45 AM
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छपरा। हमारे प्रतिनिधि। जेपी विश्वविद्यालय के तहत चलने वाले संबद्ध कॉलेज देवराहा बाबा श्रीधर दास डिग्री कॉलेज, कदना (गड़खा) के प्राचार्य पर सात करोड़ रुपये के गबन के मामले में गड़खा थाने में शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए विवि के कुलसचवि प्रो. अनिल कुमार ने प्राथमिकी के लिए गुरुवार को आवेदन दिया था।

हाई कोर्ट ने प्राचार्य पर एफआईआर करने व राशि वसूलने का आदेश 24 अक्टूबर, 2013 को इस बारे में दायर की गयी लोकहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया था। इस कॉलेज की संबद्धता भी रद्द कर दी गई है। राजभवन ने लिया था संज्ञानजानकारी के अनुसार, प्राचार्य डॉ. अर्जुन प्रसाद राय द्वारा उक्त कॉलेज में रुपये के गबन की शिकायत सचवि श्रीधर दास द्वारा राज्यपाल सह कुलाधिपति सचिवालय में की गई थी।

इसी शिकायत के आलोक में कुलाधिपति सचिवालय ने अपने पत्रांक जेपीयू-16/2011-267/डीएस(1) दिनांक 21.2.2012 के माध्यम से शिकायतों की जांच का आदेश जेपीविवि प्रशासन को दिया।

बनाई गयी त्रिसदस्यीय कमेटीराजभवन के आदेश के अनुपालन में जेपीविवि प्रशासन ने तब अपने पत्रांक वीसी (आर) 589 - 21.4.2012 के माध्यम से तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर रिपोर्ट देने को कहा। कमेटी में शामिल संयोजक डॉ. रामफेर, सदस्य डॉ. आर पी बबलू और डॉ. अच्यूतानंद सिंह ने आरोपों को सही ठहराते हुए 18 दसिंबर, 2012 को रिपोर्ट विवि में जमा कर दी, लेकिन तब रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। दायर की गई थी जनहित याचिकातीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट पर तत्कालीन विवि प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर गड़खा निवासी सुरेश प्रसाद राय ने हाईकोर्ट में सीडब्लूजेसी 17861/13 दायर कर दी।

इसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया। ये था कोर्ट का आदेशहाई कोर्ट ने कॉलेज में सात करोड़ रुपये के गबन के मामले में प्राचार्य और कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया था। जज नवीन कुमार सिन्हा और विकास जैन की खंड पीठ ने 24 अक्टूबर, 2013 को दिये अपने फैसले में उक्त राशि को पब्लिक डिमांड एक्ट के तहत वसूलने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि करीब सात करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई।

सरकारी राशि का गबन हुआ है। इसलिए प्राथमिकी दर्ज कर तुरंत आरोप पत्र दायर करना चाहिए। आठ महीने बाद हुआ निर्देश का पालनकोर्ट के आदेश के कार्यान्वयन में करीब आठ माह लग गये। जेपीविवि के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नये कुलपति व उनकी टीम के संज्ञान में यह मामला आने के बाद कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया गया। थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद ने कहा कि लिखित आवेदन के आलोक में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। मामले की जांच की जायेगी। जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

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