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रसोई गैस के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव लायेगा पेट्रोलियम मंत्रालय

पेट्रोलियम मंत्रालय घरेलू रसोई गैस के दाम 250 रुपये प्रति सिलेंडर और राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल का दाम 4 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लेकर मंत्रिमंडल की राजनीतिक...

रसोई गैस के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव लायेगा पेट्रोलियम मंत्रालय
एजेंसीFri, 04 Jul 2014 05:13 PM
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पेट्रोलियम मंत्रालय घरेलू रसोई गैस के दाम 250 रुपये प्रति सिलेंडर और राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल का दाम 4 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लेकर मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) के समक्ष प्रस्ताव रख सकता है।
  
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय डीजल, मिट्टी तेल और रसोई गैस के दाम पर विचार करने के वास्ते सीसीपीए का मसौदा तैयार कर रहा है। पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के डीजल के दाम में 40 से 50 पैसे प्रतिमाह वृद्धि करने के फैसले की पुष्टि करते हुये मंत्रालय संभवत: इसके दाम में 3.40 रुपये प्रति लीटर का नुकसान समाप्त होने तक वद्धि जारी रखने का प्रस्ताव कर सकता है।
  
मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए उसे डीजल के दाम नियंत्रण मुक्त करने की अनुमति दे जैसा कि पेट्रोल के मामले में किया गया। पेट्रोल के दाम जून 2010 में नियंत्रण मुक्त किये जा चुके हैं। पेट्रोल के दाम नियंत्रण मुक्त होने के बाद से हर महीने की पहली और 16वीं तारीख को दाम की समीक्षा की जाती है। कुछ मौकों को छोड़कर तबसे पेट्रोल के दाम उसकी वास्तविक लागत के अनुरूप तय हो रहे हैं।

पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस़ पारीख की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर विचार करे। समिति ने पिछले साल अक्टूबर में सरकार को सौंपी अपनी सिफारिशों में डीजल के दाम 5 रुपये, मिट्टी तेल के दाम 4 रुपये और घरेलू इस्तेमाल वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम 250 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ाने का सुझाव दिया था, ताकि 72,000 करोड़ रुपये के सब्सिडी बिल को कम किया जा सके।
  
मिट्टी तेल, रसोई गैस और डीजल के दाम नहीं बढ़ने की सूरत में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,07,850 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इस नुकसान की भरपाई सरकार की तरफ से कंपनियों को दी जाने वाली नकद सब्सिडी और तेल उत्पादक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी, ऑयल इंडिया तथा गेल के योगदान से पूरा करना पड़ता है।
  
पारिख समिति ने एक साल के भीतर डीजल की पूरी सब्सिडी समाप्त करने और सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति एक साल में छह सिलेंडर पर सीमित करने की सिफारिश की थी। इस समय हर साल प्रति परिवार 12 सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय समिति की इस सिफारिश को सीसीपीए के पास नहीं ले जा रहा है।
  
वित्त मंत्रालय तेल कंपनियों के लिये सब्सिडी निर्धारण का निर्यात समान मूल्य तय करने के पक्ष में है। वर्तमान में यह व्यापार समान मूल्य के आधार पर तय किये जाते हैं। निर्यात समान मूलय के आधार पर सब्सिडी में 13,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।

 

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