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महाप्रबंधक के दफ्तर का दरवाजा बंद, निराश लौटे लोग

भागलपुर। वरीय संवाददाता। सोमवार की दोपहर के डेढ़ बजे हैं। मायागंज स्थित जिला उद्योग केंद्र में परबत्ती के पप्पू कुमार मंडल पहुंचे। वह विकलांग हैं। डिटर्जेट की फैक्ट्री लगाना चाहते हैं। इसके लिए...

महाप्रबंधक के दफ्तर का दरवाजा बंद, निराश लौटे लोग
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 01 Jul 2014 12:32 AM
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भागलपुर। वरीय संवाददाता। सोमवार की दोपहर के डेढ़ बजे हैं। मायागंज स्थित जिला उद्योग केंद्र में परबत्ती के पप्पू कुमार मंडल पहुंचे। वह विकलांग हैं। डिटर्जेट की फैक्ट्री लगाना चाहते हैं। इसके लिए केंद्र के महाप्रबंधक से मिलकर फैक्ट्री लगाने की प्रक्रिया समझना चाहते हैं। पिछले दो दिनों से लगातार आ रहे हैं। लेकिन वहां महाप्रबंधक के नहीं रहने से उनसे मुलाकात नहीं हो पा रही है।

दिनभर केंद्र में महाप्रबंधक के इंतजार में बैठे रहे और शाम को चार बजे निराश होकर वहां से वापस हो गए। यह परेशानी अकेले पप्पू की नहीं है, बल्कि रोज आठ से दस लोग ऐसे आते हैं। अगर किसी दिन महाप्रबंधक से मुलाकात हो जाए तो वे लोग अपना सौभाग्य समझते हैं। सोमवार को हिन्दुस्तान की टीम ने वहां की पड़ताल की। इसके लिए अलग-अलग समय में दो बार टीम वहां गई। दोपहर एक बजे, उद्योग केंद्र के गेट से घुसते ही लोगों के बैठने के लिए बैंच लगी है।

लेकिन बिजली के पंखे नहीं चल रहे हैं। ऑटोमैटिक जेनरेटर भी रखा हुआ है। लेकिन उसे आज तक चलाने का प्रयास नहीं किया जा सका है। वहां काम करनेवाली खुशबू बताती हैं कि पंखा कई माह से खराब है। महाप्रबंधक रामचंद्र सिंह के दफ्तर के दरवाजे बंद हैं। प्रधान सहायक का कमरा खुला है और वहां एक उद्योग विस्तार पदाधिकारी देव कुमार गुप्ता और डेटा इंट्री ऑपरेटर शत्रुघ्न ठाकुर मौजूद हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को ऑनलाइन होना है। इसके लिए कंप्यूटर भी आ गया है।

ये लोग उसे ही व्यवस्थित करने में जुटे दिखे। बगल के दूसरे कमरे में उद्योग विस्तार पदाधिकारी राकेश कुमार का चैंबर खुला है, पंखे चल रहे हैं। लेकिन वहां कोई मौजूद नहीं है। उससे सटा कमरा क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी डीके प्रसाद का है और उसमें ताला लटक रहा है। ट्रेनिंग रूम की हालत यह है कि पूरे कमरे में मकड़जाल लगा है। टूटी कुर्सियां भी पड़ी है। खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। देखने से ऐसा लगा कि काफी दिनों से उसकी सफाई नहीं हो सकी है।

उद्योग विस्तार पदाधिकारी देव कुमार गुप्ता ने बताया कि यहां 35 पदाधिकारी-कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं। लेकिन कार्यरत केवल छह हैं। महाप्रबंधक पांच विभागों के प्रभार में हैं। उद्योग केंद्र के अलावा सिल्क इंस्टीटय़ूट, पॉलिस्टर बोर्ड, सूता मिल व क्वालिटी कंट्रोल की जवाबदेही है। ऐसी स्थिति में एक साथ कहां-कहां रहेंगे। उद्योग विस्तार पदाधिकारी राकेश कुमार हैदराबाद ट्रेनिंग करने गए हैं। दो लिपिक राजेंद्र पांडेय और रामाशीष प्रसाद हैं। स्टेनो राजेंद्र चौधरी की प्रतिनियुक्ति छपरा में हो गया है और वह भी चले गए हैं।

परियोजना प्रबंधक रामाशंकर पांडेय दो दिन पहले ही पटना में होनेवाली बैठक में शामिल होने के लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की कमी की वजह से काफी परेशानी हो रही है। यहां केवल दो ही तरह के काम हो रहे हैं। एक नबिंधन और दूसरा बैंक से लोन के लिए अनुशंसा। टीम जब दोबारा वहां दिन के साढ़े तीन बजे पहुंची तो उस वक्त भी महाप्रबंधक नदारद दिखे।

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