परिसीमन आयोग की पंचायत आधार पर परिसीमन कराने की सिफारिश
भारतीय परिसीमन आयोग ने केन्द्र सरकार से हर जनगणना के बाद परिसीमन कराने, वर्ष 2011 में अगली जनगणना पंचायत आधार पर कराने तथा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों को बदलते रहने के लिए कानून...
भारतीय परिसीमन आयोग ने केन्द्र सरकार से हर जनगणना के बाद परिसीमन कराने, वर्ष 2011 में अगली जनगणना पंचायत आधार पर कराने तथा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों को बदलते रहने के लिए कानून में प्रावधान करने की मांग की है। परिसीमन आयोग के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने शुक्रवार को निर्वाचन सदन में आयोग की दो खण्डों वाली रिपोर्ट मीडिया को जारी करते हुए उपरोक्त सिफारिशें सरकार से की। उनके साथ मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी भी मौजूद थे। सिंह ने कहा कि आयोग का स्पष्ट मत है कि हर दस वर्ष बाद होने वाली जनगणना के बाद परिसीमन का कार्य होना चाहिए ताकि निर्वाचन क्षेत्रों में बदलाव आदि में बहुत लम्बा समय नहीं लगे और चुनावी वोट की कीमत कुल मिलाकर एक बराबर ही रहे। आयोग ने संविधान और परिसीमन कानून में उचित संशोधन की मांग की। आयोग ने अपनी दूसरी सिफारिश में सरकार से अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों को बदलते रहने के लिए कानून में उचित प्रावधान करने पर विचार करने का अनुरोध किया है। आयोग की तीसरी सिफारिश में वर्ष 2011 में होने वाली अगली जनगणना पंचायत आधार पर करने को कहा गया है ताकि उसके बाद देश के सभी रायों में परिसीमन का कार्य पंचायत आधार पर हो सके। उन्होंने कहा कि इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी त्रिस्तरीय चुनावांे के लिए देश में एक ही मतदाता सूची सुनिश्चित हो सकेगी। सिंह ने बताया कि उनकी अध्यक्षता वाले परिसीमन आयोग का गठन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया था। देश की जनसंख्या 87 प्रतिशत बढ़ गई थी और लोकसभा के 543 तथा विधान सभाआें के 4120 निर्वाचन क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन करने का काम उन्हें सौंपा गया था। इस चौथे परिसीमन आयोग ने वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर अपना काम जुलाई 2004 में शुरू कर वर्ष 2007 के अन्त तक पूरा कर लिया। आयोग ने 130 बैठकें की, 7200 व्यक्ितयों ने अपने सुझाव दिए तथा 122000 व्यक्ितयों ने विभिन्न शहरों में हुई बैठकों में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि आयोग ने किसी शहरी निर्वाचन क्षेत्र को छोटा नहीं किया है। नया परिसीमन राय सरकार द्वारा तय आधार पर ही किया गया है। उन्होंने बताया कि आयोग का कार्यकाल 31 जुलाई 2008 तक है पर हमने अपना काम पूरा कर लिया। इसलिए कार्यकाल बढ़ाने का अनुरोध न करते हुए उन्होंने आयोग के अध्यक्ष पद 31 मई 2008 को छोड़ने की सूचना भी केन्द्र सरकार को भेज दी है।