बच्चों को करनी होगी देखभाल
अब सीनियर सिटीान और लाचार माता-पिता को बुढ़ापे में जीवन यापन के लिए अपने बच्चों के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बच्चों को बूढ़े माता-पिता के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था हर हाल में...
अब सीनियर सिटीान और लाचार माता-पिता को बुढ़ापे में जीवन यापन के लिए अपने बच्चों के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बच्चों को बूढ़े माता-पिता के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था हर हाल में करनी होगी। सक्षम बेटी को भी इस एक्ट के तहत शामिल किया गया है। बच्चों की ओर से खाने, पीने और रहने की व्यवस्था नहीं करने पर वे ट्रिब्यूनल में अपने बच्चों या रिश्तेदारों के खिलाफ अपील कर सकते हैं।ड्ढr झारखंड सरकार ने केंद्र द्वारा बनाये गये द मेनटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरंट एंड सीनियर सिटीान एक्ट 2007 के तहत राज्य के सभी अनुमंडल में ट्रिब्यूनल बनाने का निर्णय लिया है। एक्ट में वैसे रिश्तेदारों को शामिल किया गया है, जो मरने के बाद उनकी चल और अचल संपति के दावेदार होंगे। जिनके पुत्र नहीं हैं, वैसे अभिभावक अपनी पुत्री पर दावा कर सकते हैं। बुढ़ापे में अगर अलग रहना चाहें, तो इसकी भी व्यवस्था बच्चों को करनी होगी। केंद्र ने भी छह माह में ट्रिब्यूनल बनाने की बात कही है। ट्रिब्यूनल संचालन के लिए राज्य सरकार ने समाज कल्याण विभाग को नोडल विभाग घोषित किया है। अनुमंडल स्तर पर एसडीओ के समकक्ष अधिकारी और जिला स्तर पर डीसी प्रभारी होंगे।