नेपाल में राजा-रानी, अब एक कहानी
वह वक्त ज्यादा पुराना नहीं है, जब नेपाल के राजा हिन्दू देवी देवताओं की तरह पूजे जाते थे। उनके फैसले ईश्वरीय आदेश के समान होते थे। उनके दर्शन के लिए राजमहल के सामने नतमस्तक लोगों की लंबी कतारें लगा...
वह वक्त ज्यादा पुराना नहीं है, जब नेपाल के राजा हिन्दू देवी देवताओं की तरह पूजे जाते थे। उनके फैसले ईश्वरीय आदेश के समान होते थे। उनके दर्शन के लिए राजमहल के सामने नतमस्तक लोगों की लंबी कतारें लगा करती थीं। शाही शानो शौकत के साथ अपना जीवन व्यतीत करने वाले इन राजाओं और इनके खानदान की कहानियां किसी परी कथा से कम नहीं थीं। पर अब फिाा बदल गई है। देश में लोकतंत्र की ऐसी बयार बह निकली, जिसमें न तो तख्त रह गए औार न ताज।ड्ढr ड्ढr बुधवार को देश की नई संविधान सभा की बैठक में नेपाल को गणतंत्र घोषित कर दिया जाएगा और 240 वर्ष पुरानी राजशाही का हमेशा के लिए अंत हो जाएगा।देश की जनता लोकतंत्र की खुली फिाां में सांस लेगी। राजा ज्ञानेन्द्र राजमहल नारायण हिती को हमेशा के लिए अलविदा कहेंगे और महल के बुर्ज पर दशकों से फहराती रही राजसी पताका के स्थान पर नया राष्ट्र ध्वज इठलाता हुआ देश में लोकतंत्र की पहली सुबह का आगाज करेगा। वर्ष 2006 में हुए शांति समझौते के बाद से देश में माओवादियो का प्रभाव लगातार बढ़ता गया और इस वर्ष अप्रैल में हुए संविधान सभा के चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आई। उसकी सबसे बड़ी मांग राजशाही का खात्मा थी।