दिल्ली सरकार में 36 हजार पद होंगे नियमित
नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता दिल्ली सरकार में तैनात लगभग 36 हजार ठेकाकर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया से जुड़ी नीति और दिशा-निर्देश तैयार कर लिए गए हैं। पूर्व केजरीवाल सरकार ने इस संबंध में जनवरी...
नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता दिल्ली सरकार में तैनात लगभग 36 हजार ठेकाकर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया से जुड़ी नीति और दिशा-निर्देश तैयार कर लिए गए हैं। पूर्व केजरीवाल सरकार ने इस संबंध में जनवरी में समिति गठित की थी, जिसने अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्य सचिव एसके श्रीवास्तव को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में ठेकाकर्मियों के बजाय ठेको या संविदा के माध्यम से भरे गए पदों को ही नियमित करने का सुझाव दिया गया है। अब मुख्य सचिव इस रिपोर्ट को फाइनल कर अगले सप्ताह उपराज्यपाल नजीब जंग को सौंप देंगे।
जनवरी में केजरीवाल सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय समिति का गठन किया था। श्रम विभाग के विशेषज्ञों वाली इस समिति को शिक्षा, स्वास्थ्य और परवहिन सहित लगभग सभी विभागों में तैनात ठेकाकर्मियों को नियमित करने के लिए नीति और दिशा-निर्देश तैयार करने थे। समिति से जुड़े श्रम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी विभागों द्वारा मुहैया कराई गई ठेका, अस्थायी और दिहाड़ीकर्मियों की संख्या और मौजूदा सेवा शर्तो के आधार पर नियमितीकरण की प्रक्रिया सुझाई गई है।
रिपोर्ट में सुझाए गए उपायों को मौजूदा ठेकाकर्मियों को नियमित करने के बजाय इन पदों को ही नियमित करने के पूर्ववर्ती सरकार के निर्देश को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया में मौजूदा कर्मियों के अलावा अन्य लोगों को भी काबलियत के आधार पर मौका मिल सके। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में भर्ती प्रक्रिया के लिए पहले चरण में उन पदों के लिए आवेदन जारी करने का सुझाव दिया गया है, जिन पर ठेकाकर्मियों के अनुबंध की अवधि खत्म हो गई है या होने वाली है।
साथ ही इन पदों पर पांच से दस साल तक काम कर चुके कर्मचारियों को भर्ती में वरीयता भी देने की बात कही गई है। नियमितीकरण से सरकार पर पड़ने वाले अतिरिक्त आर्थिक बोझ के बारे में जानकारों का कहना है कि संविदाकर्मियों को अब भी वेतन तो सरकार ही दे रही है। सिर्फ पेंशन और जरूरी भत्तों का मामूली बोझ सरकार पर बढ़ेगा। इसका इंतजाम वैट या लग्जरी वस्तुओं पर कर बढ़ाकर कर किया जा सकता है। उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद इन पदों पर व्यापक पैमाने पर भर्ती का चरणबद्ध अभियान शुरू किया जा सकेगा।
दिल्ली में 2.5 से 3 लाख कर्मचारी संविदा पर नियुक्त हैं। इनमें लगभग 19 हजार संविदा शिक्षक भी शामिल हैं। पहले चरण में सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के लिए अनुमन्य 36 हजार पदों पर भर्ती होगीडीटीसी के ड्राइवर, कंडक्टर, डाक्टर, पेरामेडिकल स्टाफ, और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, सफाईकर्मियों एवं निगम, डीडीए सहित अन्य विभागों में संविदाकर्मी तैनात हैंस्वास्थ्य विभाग में हैं 15500 ठेकाकर्मीइनमें 5000 नर्सो सहित अन्य पेरामेडीकल स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी के 5000 और 500 डाक्टर भी शामिललगभग 12 हजार ठेका कर्मी परवहिन विभाग में (4152 कंडक्टर, 7343 ड्राइवर, 30 डिपो मेनेजर भी शामिल) एलजी को है अब तक इंतजार विभागों के रिपोर्ट कार्ड कादिल्ली में राष्ट्रपति शासन के 100 दिन पूरे होने पर पिछले तीन महीनों में सरकार द्वारा किए गए कार्यो की उपलब्धियों से जनता को अवगत कराने के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग ने सभी विभागों से रिपोर्ट कार्ड तलब किया है।
मगर अधिकारियों पर उपराज्यपाल का निर्देश बेअसर होता दिख रहा है। उपराज्यपाल की सक्रियता के बाद शुरू किए गए जनहित के कार्यो से जुड़े कामों का रिपोर्ट कार्ड सभी विभागों को 21 मई तक सूचना निदेशालय को सुपुर्द कर देना था। मगर गुरुवार को निर्धारित समय सीमा बीतने के एक दिन बाद किसी भी विभाग ने रिपोर्ट कार्ड नहीं भेजा है। ज्ञात हो कि गत 15 मई को निदेशालय की ओर से जारी सर्कुलर में सभी विभागों से 17 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद बीते तीन महीनों में किए गए कामकाज का लेखा जोखा पेश करने को कहा गया था।
इसके आधार पर सरकार उपलब्धियों की पुस्तिका जारी करना चाहती है। विभागों की लापरवाही को देखते हुए गुरुवार को निदेशालय ने फिर से सर्कुलर जारी कर सभी विभागों से अगले दो दिनों में रिपोर्ट कार्ड जारी करने को कहा गया है।