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भाजपा कार्यकारिणी में रहेगी गुर्जर की गूंज

भारतीय जनता पार्टी की रविवार से शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में संप्रग के खिलाफ नया मोर्चा खोलने की रणनीति तय की जाएगी। लेकिन भाजपा नेतृत्व को अपना घर सम्हालने की चिंता से भी...

 भाजपा कार्यकारिणी में रहेगी गुर्जर की गूंज
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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भारतीय जनता पार्टी की रविवार से शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में संप्रग के खिलाफ नया मोर्चा खोलने की रणनीति तय की जाएगी। लेकिन भाजपा नेतृत्व को अपना घर सम्हालने की चिंता से भी जूझना पड़ेगा। इसमें शक नहीं कि हाल में कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद भाजपा नेतृत्व नये विश्वास और जोश-ओ-खरोश से लैस है। लेकिन राजस्थान के गुर्जर आंदोलन में हुई बेपनाह हिंसा से भी चिंतित है। अगर हालात जल्दी सामान्य न हुए, तो यह वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्रित्व को भी लील सकता है। गुर्जर आंदोलन की आंच का आलम यह है कि भाजपा को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का स्थल जयपुर से हटाकर दिल्ली लाना पड़ा। इसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाग लेंगी या नहीं, इस पर कयासबाजी चल रही है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की आवाज भी उठ सकती है। हालांकि राजे के समर्थक उन्हें बनाये रखने के पीछे चुनाव के जातीय समीकरण माकूल होने का हवाला दे रहे हैं। दिलचस्प बात यह कि भाजपा ने राजे को अगले चुनाव के लिए मुख्यमंत्री घोषित किया हुआ है। नेता की घोषणा कर चुनाव में उतरने की भाजपा की रणनीति हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक में पूरी तरह कामयाब रही है। देखना होगा कि वसुंधरा राजे के मामले में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी क्या फैसला लेती है। राजस्थान के अलावा भाजपा के लिए संकट बिहार इकाई को लेकर भी है, जहां भाजपा विधायक भाजपा के मौजूदा उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और भाजपा अध्यक्ष का विरोध कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से कोई तीस असंतुष्ट विधायक दिल्ली में डेरा जमाये हुए हैं, उससे इस मामले की गंभीरता का पता चलता है। आम धारणा है कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी लोकसभा और उससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी रणनीति और उम्मीदवार तय करने पर ध्यान देगी। लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार चुनने के लिए मानदंड तय करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए अपना नेता लालकृष्ण आडवाणी को तय कर चुकी है। उसका पूरा जोर अब इस प्रचार पर रहेगा कि भाजपा ही अगले लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने जा रही है। लेकिन मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के शासन के खिलाफ जो माहौल है, उसके चलते क्या भाजपा को उतनी सफलता मिलेगी, जितना कि इसके नेता सोचते हैं? राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इन रायों में भाजपा की पतली हालत ठीक करने पर भी विचार-विमर्श संभव है।

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