राजरंग
किसमें कितना है दमअब वो समय आ गया जब चुनावी पहलवानों की ताकत का इजहार हो जायेगा। पिछले कई दिनों से वाकयुद्ध देख सुनकर पूरी जनता तबाह है। जीतेंगे तो ये करंगे, वो करंगे. . .। एक से एक वादे, इरादे...
किसमें कितना है दमअब वो समय आ गया जब चुनावी पहलवानों की ताकत का इजहार हो जायेगा। पिछले कई दिनों से वाकयुद्ध देख सुनकर पूरी जनता तबाह है। जीतेंगे तो ये करंगे, वो करंगे. . .। एक से एक वादे, इरादे दुनिया के सामने लाये जा रहे हैं। एक भोपूं को जोर-शोर से बजाया जा रहा है। कोई हीरो से भाषण करवा रहा है, तो कोई हिरोइन से वोट मंगवा रहा है। जनता उन्हें देख-सुनकर तालियां बजा रही है। अभी सबको हंसा रही है, बाद में कइयों को रुलायेगी। चुनावी अखाड़े में पहलवानों की कमी नहीं है। कोई मोटा है, तो कोई छोटा है। कोई लंबा है, तो कोई ठिगना है। कोई प्रोफेसर हैं, तो कोई डॉक्टर। लीडर तो सभी कोई हैं। पब्लिक सबको देख रही है। सबको सुन रही है। फिर एक दिन अपना फैसला सुना देगी। पांच साल पर होनेवाले इस चुनावी युद्ध जीतने हारने के लिए बहुत तैयारियां होती हैं। एक से एक बढ़कर लीडर सामने आते हैं। वोट की भीख मांगते हैं। अखाड़े में ताल ठोकते हैं। एक दूसर को पटकनी देने के लिए ललकारते हैं और हारने-ाीतने के बाद फिर पांच साल के लिए सो जाते हैं।