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इंचाीनियरिंग पास कर खेती कर रहे संजीव

नालंदा के उस अभियंता ने मशरूम उत्पादन में ऐसी धूम मचाई कि अपने उत्पाद को पटना में खपाने वाले दिल्ली के मशरूम व्यापारियों के दांत खट्टे होने लगे। गांव वालों के मुंह से निकलने वाले ‘पढ़े फरसी बेचे तेल’...

 इंचाीनियरिंग पास कर खेती कर रहे संजीव
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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नालंदा के उस अभियंता ने मशरूम उत्पादन में ऐसी धूम मचाई कि अपने उत्पाद को पटना में खपाने वाले दिल्ली के मशरूम व्यापारियों के दांत खट्टे होने लगे। गांव वालों के मुंह से निकलने वाले ‘पढ़े फरसी बेचे तेल’ जसे जुमले भी बीआईटी सिंदरी से इांीनियरिंग पास कर कृषि कार्य में जुटे बिंद के संजीव कुमार को विचलित नहीं कर सके। इांीनियरिंग पास करने के बाद नौकरी तो दिल्ली में लग गई लेकिन उसका दिल वहां नहीं लगा। गांव की मिट्टी उसे खींच लाई और नौकरी छोड़ वह जुट गया मशरूम उत्पादन में। घरवालों के ताने भी उसने खूब सहे।ड्ढr ड्ढr डाक्टरी और इांीनियरिंग के पेशे से जुड़े दो अन्य भाइयों के उदाहरण भी पेश किये गये। लेकिन उसपर तो मानो सनक सवार थी। आसपास के गांवों के कई लोगों को जोड़कर उसने मशरूम उत्पादकों का एक समूह तैयार कर लिया। फिर क्या था, चल पड़ा मशरूम का व्यवसाय और नालंदा जिले के बिंद, जहाना, रसलपुर और ननौर आदि गांवों के किसानों द्वारा उत्पादित मशरूम ‘बिंद का मशहूर मशरूम’ ब्रांड के नाम से विख्यात हो गया। अब रो दस क्िवंटल मशरूम पटना में खपाने वाले दिल्ली के व्यापारियों की परशानी बढ़ने लगी।ड्ढr ड्ढr हालांकि मांग अधिक होने के बावजूद अभी एक क्िवंटल ही रो वह पटना भेज पाता था। अचानक पटना में लगे मशरूम बीज का लैब बंद हो गया और बीज के संकट के कारण उत्पादन बंद हो गया। एक बार रांची से बीज लेकर उसने काम तो शुरू किया लेकिन बीज खराब निकलने के कारण सौदा घाटे का हो गया। अब संजीव बिंद में ही अपना लैब बैठा रहा है। अगस्त माह से इसमें काम शुरू हो जायेगा। इसके पूर्व उसने कई बार सरकारी सहायता की भी गुहार लगाई लेकिन कोई लाभ न मिला। अंतत: उसने अपने बूते लैब लगाने की बात ठान ली और पहुंच गया मुकाम पर।

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