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मेरा अपना हेलीपैड

एक अफगानी शायर ने मिर्जा गालिब से पूछा कि इंडिया में आम की कितनी किस्में हैं? गालिब आम..आम..आम रटते रहे। फिर बोले इतनी किस्में है कि मैं गिना नहीं सकता। सरकार का हाल भी गालिब के आमों जसा है। इतनी...

 मेरा अपना हेलीपैड
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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एक अफगानी शायर ने मिर्जा गालिब से पूछा कि इंडिया में आम की कितनी किस्में हैं? गालिब आम..आम..आम रटते रहे। फिर बोले इतनी किस्में है कि मैं गिना नहीं सकता। सरकार का हाल भी गालिब के आमों जसा है। इतनी किस्मों के आइडिया और प्लालिंग हैं कि गिनाई नहीं जा सकती। कब कहां, देशहित में सुई की नोक से कुआं खोदना शुरू कर दें, कहा नहीं जा सकता।..ड्ढr ताजा खबर मालूम हुई है कि सरकार अमीरों को अपने प्राइवेट हवाई अड्डे और हेलीपैड बनाने की क्षाजत देने जा रही है। ..प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी हो चुकी है। बस गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी मंजूरी बाकी है। वह भी मिल ही जाएगी। बनावे से कमीज का एक बटन कोई अलग रंग का थोड़ा ही होवे है। अब अपना विमान, अपना हवाई अड्डा, अपने खास मुसाफिर। जहां चाहों पान की पीक थूकने को उतर लो। मुझे बेहद खुशी हुई। महंगाई कम करने का यह भी एक तरीका है। सो कैसे? भई लोगों के पास अपने विमान और अपने हवाई अड्डे होंगे तो सवारियां बटोरने के तईं एयर लाइनें किराया कम करंगी या नहीं? महंगाई कम हुई हवाई किराए से। दाल, आटा, चावल की बाद में देखी जाएगी। पहले महंगाई हवाई जहाज से नीचे गिरानी है। सुभानल्हाह। सरकार की इस कृपा की बाबत पढ़ने ही दिन मुगल गार्डेन जसा सरसब्ज हो उठा। मैंने सैकड़ों हवाई यात्राएं की हैं। मगर अपना कहने को न पास में हेलीकोप्टर है, न हेलीपैड। पहले हेलीपैड जरूरी है। बाद में जीते जी, कुछ रकम पानी का जुगाड़ होते ही एक सेकिन्ड हैंड (कार की तरह) हेलीकोप्टर भी खरीदा जा सकता है।ड्ढr मकान के पीछे आंगन की काफी जमीन पड़ी है। सीमेंट, मोरंग पत्थर का बन्दोबस्त होते ही, छोटे मोटे हेलीपैड का निर्माण कार्य शुरू। समझदार और दूरअंदेश मां वही है, जो बेटे को घोड़ी पर बिठाने से पहले ही भावी पोते के तईं पालने का इंतजाम कर रखे। आगे पीछे जरूरत तो पड़नी ही है। हेलीपैड पूरा होते ही, पुराने बिकाऊ हेलीकाप्टरों की तलाश शुरू होगी। क्या जलवे होंगे। घर से उड़ते ही पांच सात मिनटों में ही सम्धियाने पर लैंड कर गए। हिन्दी साहित्य में एक हेलीकोप्टर वाला एक लेखक जुड़ जाएगा। राष्ट्र भाषा की नाक और ऊंची उठ जाएगी। सरकार ने हवाई अड्डे-हेलीपैड को मंजूरी देकर मुझ अकिंचन को बेइन्तहा खुशी बख्शी है। अब इस बिजली की आवा जाही को कहां तक कोसूं? ऐन खुशी के मौके पर लाइट गई..पंखा बंद..बदन पसीने से तरबतर..आंख खुल गई..ख्वाब था जो कुछ देखा..जो सुना वह तो कोरा अफसाना था।ड्ढr

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