राजनीतिक रूख भांप रहे हैं शिवानंद के समर्थक
बिहिया। अपने बागी तेवर और बेबाक बयानबाजी को लेकर सूबे के राजनीतिक हलकों के केन्द्र में रहने वाले शिवानंद तिवारी को जद यू से निकाले जाने के बाद उनके समर्थकों में ऊहापोह की स्थिति है। बाबा के समर्थक...
बिहिया। अपने बागी तेवर और बेबाक बयानबाजी को लेकर सूबे के राजनीतिक हलकों के केन्द्र में रहने वाले शिवानंद तिवारी को जद यू से निकाले जाने के बाद उनके समर्थकों में ऊहापोह की स्थिति है। बाबा के समर्थक उनका राजनीतिक रूख भांप रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि बाबा जो रूख अपनाएंगे, उसमें वे उनका साथ देंगे।
ऐसे में समर्थक उनकी चुप्पी तोड़े जाने का इंतजार कर रहे हैं। पूर्व मुखिया जनार्दन तिवारी का कहना है कि कभी लालू के चाणक्य तो कभी नीतीश के बगलगीर रहने वाले उनके नेता शविानंद जी का जीवन संघर्ष भरा रहा है। वे अपने बागी तेवर के कारण कई बार खुद पार्टी बदल चुके हैं।
पार्टी से उन्हें निकाले जाने की यह पहली घटना है। उनका कहना है कि वे ज्यादा दिनों तक चुप नहीं रहेंगे । उनके समर्थक पूर्व प्रमुख तेजनारायण सिंह का कहना है कि शिवानंद जिस धारा की राजनीति करते हैं, वैसी धारा आज की राजनीति में हाशिये पर है।
ऐसे में वर्तमान परिप्रेक्ष्य की धारा में असहज महसूस कर रहे हैं। शिवानंद के खास माने जाने वाले प्रो. राजेन्द्र मनियारा का कहना है कि तिवारी जी ही एक मात्र समाजवादी आंदोलन के ईमानदार कार्यकर्ता बचे हैं जो सत्तालोलुप और अवसरवादी राजनीति से बचे रहे हैं।
उनका मानना है कि आज भी लोहिया के नाम पर सत्ता हासिल कर जो राजनीतिक ठगी हो रही है, उसके शिकार शिवानंद तिवारी हैं। शिवानंद के समर्थकों की माने तो वे कुछ न कुछ राजनीतिक गुल जरूर खिलायेंगे, लेकिन कब, यह वही जानते हैं।
फिलहाल उनके सैकड़ो समर्थकों ने भी पार्टी छोड़ दी है। वैसे किसी पार्टी में शिवानंद के ज्यादा दिनों तक नहीं रहने के कारण उनपर अवसरवादी राजनीति करने का आरोप भी लगता रहा है।
उनके समर्थकों का जद यू से नाता तोड़ने का सिलसिला जारी है और उनके गृह क्षेत्र में राजनीतिक बहस छिड़ी है कि शिवानंद का आगे का राजनीतिक रूख क्या होगा। अपने पुराने घर राजद में भी वापसी को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है।