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मगध विश्वविद्यालय का कारनामा: रचिास्टर पर चला दिया बीएड कालेज

न कोई दस्तावेज, न फाइल! सिर्फ डिस्पैच रजिस्टर पर ही चल रहा था केरल में बीएड कालेज! हद तो यह हो गई कि 62 चतुर्थवर्गीय कर्मियों की सेवा नियमित करने और 51 शिक्षकों के सामूहिक स्थानांतरण के लिए बैंक में...

 मगध विश्वविद्यालय का कारनामा: रचिास्टर पर चला दिया बीएड कालेज
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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न कोई दस्तावेज, न फाइल! सिर्फ डिस्पैच रजिस्टर पर ही चल रहा था केरल में बीएड कालेज! हद तो यह हो गई कि 62 चतुर्थवर्गीय कर्मियों की सेवा नियमित करने और 51 शिक्षकों के सामूहिक स्थानांतरण के लिए बैंक में खाते खोलकर रिश्वत की रकम वसूली गई। मगध विश्वविद्यालय के इस तरह के कारनामे से राजभवन और विजिलेंस दोनों चकित हैं। शनिवार को राज्यपाल के विशेष सचिव डा. आर कृष्ण कुमार और विजिलेंस डीएसपी पीएन मिश्रा दोनों मगध विवि में जेनरटर खरीद में की गई धांधली की जांच करने गए थे।ड्ढr ड्ढr जांच में उजागर हुए ये मामले वर्ष 2004 के हैं। तब वहां के रजिस्ट्रार विमल कुमार थे। जानकारी के मुताबिक विमल कुमार के रजिस्ट्रार रहते बिना किसी आदेश के ही केरल के त्रिशूर जिले में बीएड की पढ़ाई शुरू करवा दी गई। विजिलेंस की टीम ने जब इसकी फाइल खोजनी शुरू की तो वह कहीं नहीं मिली। न ही इसका कोई अन्य दस्तावेज मिला। सिर्फ डिस्पैच रजिस्टर में त्रिशूर के एक पते पर चिठ्ठी भेजने का जिक्र था। उसी पत्र के आधार पर डिग्रियां भी बंट रही थीं।ड्ढr जानकारी के मुताबिक 15-20 साल से कार्यरत कुल 62 डेलीवेजेज मेस सर्वेट की रगुलर नियुक्ित के मामले में और 51 शिक्षकों के सामूहिक स्थानांतरण के प्रस्ताव की पड़ताल करने पर पाया गया कि इसके लिए जमकर ‘लेन-देन’ चला। मेस सर्वेट से 5-5 हजार और शिक्षकों से घूस में 20 से 50 हजार रुपए लिए गए। यही नहीं रिश्वत की राशि दो कर्मियों एलपी यादव और यूपी यादव के नाम से बाकायदा बैंक खाते खोलकर जमा कराई गई। बाद में यह रकम उन दोनों ने गमछी में बांधकर ‘ऊपर’ के लोगों को पहुंचायी। इसके साथ ही जांच के दौरान जेनरटर की खरीद में भी अनियमितता पाई गई।ं

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