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पानी निकलने में दो दिन लगेगा

हलकी बारिश होने पर भी कंकड़बाग समेत राजधानी के तमाम निचले मुहल्लों के घरों में सीवरेज और ड्रेनेज का पानी घुस जाता है। पटना नगर निगम इसका ठीकरा बरसात के सर फोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लेती है। लेकिन...

 पानी निकलने में दो दिन लगेगा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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हलकी बारिश होने पर भी कंकड़बाग समेत राजधानी के तमाम निचले मुहल्लों के घरों में सीवरेज और ड्रेनेज का पानी घुस जाता है। पटना नगर निगम इसका ठीकरा बरसात के सर फोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लेती है। लेकिन सच्चाई इससे इतर है। वैसे बिहार राज्य जल पर्षद और नगर निगम की कृपा से कई इलाकों से पानी निकलने में दो दिन का समय लगेगा। पर्षद के जर्जर संप हाउस एवं निगम के ध्वस्त सीवरा-ड्रेनेज व्यवस्था कछुआ गति से ही पानी निकालने में समर्थ हैं।ड्ढr ड्ढr जिन इलाकों में पानी देर से निकलने की संभावना है उसमें नंदनगर, रामपुर, रामकृष्ण गली, अजीमाबाद कॉलोनी, कांग्रेस मैदान, खेतान मार्केट, राजेन्द्रनगर, कदमकुआं आदि मुहल्ला शामिल है। घरों में सीवरेज और ड्रेनेज का पानी घुसने के लिए नगर निगम की कारगुजारियां जिम्मेदार हैं। दशकों पुराने सीवरा व ड्रेनेज लाइन काम करने में अक्षम हैं।ड्ढr असली गड़बड़ी को ठीक किये बिना सिर्फ कागजी बयानबाजी के सहार जलजमाव से छुटकारा दिलाने की बात कही जाती है। इतना ही नहीं कंकड़बाग समेत पूरे शहरी क्षेत्र में सीवरेज और ड्रेनेज लाइन को एक दूसरे से मिला दिया है। कंकड़बाग मेन ड्रेन के ठीक बगल से सीवरेज का मेन लाइन गंगा भवन सीवरेज पंप हाउस तक गया है। गंगा भवन सीवरेज पंप और योगीपुर ड्रेनेज पंप के लाइन को मिला दिया गया है। पोस्टल पार्क, चिरैयाटांड़, और पटना जंक्शन का पानी कंकड़बाग मेन ड्रेन के रास्ते शहर से बाहर निकालने की व्यवस्था है। इसके कारण बरसात में ड्रेन पर दबाव बढ़ जाता है। अधिक बारिश होने पर सीवरेज का पानी वापस लौटकर शौचालय के रास्ते घरों में घुस जाता है। यही हाल श्रीकृष्णानगर मुहल्ले की है। चंद अधिकारियों के अवैध निर्मित मकान को बचाने के लिए नाला ही डायवर्ट कर छोटा कर दिया गया है। ड्ढr सावधान! मैनहोल निगलने को तैयारड्ढr पटना (हि.प्र.)। राजधानी की सड़क से गलियों तक में जलजमाव होने के कारण खुले मैनहोल जानलेवा बन गये हैं। एक तरफ पानी तो दूसरी ओर खुले मैनहोल। राजधानीवासियों के लिए स्थिति अजीबोगरीब हो गई है। सावधानी हटी नहीं कि दुर्घटना घटी।ड्ढr अगर आप राजधानी के निचले मुहल्ले में रहते हैं तो सावधान हो जायें। खासकर कंकड़बाग के निवासियों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। जलजमाव होने पर घर से बाहर निकलना हो तो पानी का थाह लेने के लिए डंडा जरूर अपने साथ रखें।ड्ढr खुले मैनहोल कभी भी आपको अपनी आगोश में ले सकते हैं। नूतन राजधानी अंचल में 8342, कंकड़बाग अंचल में 1240, बांकीपुर अंचल में 2औरपटना सिटी अंचल में 145 मैनहोल हैं। इनमें आधे से अधिक खुले व ध्वस्त हैं।ड्ढr इसके अलावा शहर के 26223 कैचपिट में 60 फीसदी खुले हैं। उधर एनबीसीसी द्वारा ड्रेनेज योजना के तहत किये जा रहे सभी निर्माणाधीन नाले भी पानी भर जाने के कारण जानलेवा हो गये हैं। सड़क पर फैली मिट्टी के कारण फिसलन भी काफी अधिक है।

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