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सैनिक सम्मान मिला पर भूल गया जिला प्रशासन

देश के लिए जान न्योछावर करने वाले जांबाज लेफ्टिनेंट कर्नल अजय वर्मा का शव जेट एयरलाइंस के विमान से लाये जाने के बाद आशियानानगर स्थित घर पर आते ही पूरा इलाका मातमी सन्नाटे में डूब गया। बहादुर सपूत को...

 सैनिक सम्मान मिला पर भूल गया जिला प्रशासन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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देश के लिए जान न्योछावर करने वाले जांबाज लेफ्टिनेंट कर्नल अजय वर्मा का शव जेट एयरलाइंस के विमान से लाये जाने के बाद आशियानानगर स्थित घर पर आते ही पूरा इलाका मातमी सन्नाटे में डूब गया। बहादुर सपूत को सलाम करने के लिए लोग अपने घरों से बाहर निकल आये। आंसुओं में डूबे परिजन ही नहीं बल्कि स्थानीय लोगों को भी अजय की देशभक्ित और दिलेरी पर नाज है जिसने जीते जी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के आगे घुटने नहीं टेके। सोमवार को दोपहर पूर सैनिक सम्मान के साथ गुलबी घाट पर शहीद की अंत्येष्टि हुई पर परिजनों को इस बात का मलाल है कि जिला प्रशासन ने औपचाकिरता निभाने की भी आवश्यकता नहीं समझी।ड्ढr ड्ढr इधर घर पर कर्नल की मां कनक वर्मा, पत्नी नीतू वर्मा, छोटे भाई सोनू वर्मा, एसआईएस के सीएमडी आर. के. सिन्हा, भाजपा विधायक नीतिन नवीन, अभाकाम के रा.का. अध्यक्ष रविनंदन सहाय, डा. निर्मल श्रीवास्तव, अनिल कुमार श्रीवास्तव, विजय सिन्हा, सतीश कुमार राजू, राजीव रंजन श्रीवास्तव आदि ने शहीद के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।ड्ढr ड्ढr अजय के साढू व एनटीपीसी पटना के एजीएम अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एनडीए की परीक्षा पास कर अजय 1में भारतीय सेना में प्रवेश किये थे। उनके पिता रिटायर्ड कर्नल सी.एम. वर्मा की मृत्यु पिछले वर्ष हो गई थी। अजय की पत्नी नीतू वर्मा, बेटा अभिज्ञ वर्मा (8) और बेटी समीरा (6) किस्तवार से यहां शव के साथ ही आये हैं। परिजनों ने बताया कि इन दिनों अजय वर्मा सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) के इंजीनियरिंग रजिमेंट 118 मेंड्ढr किस्तवार (डोडा, जम्मू कश्मीर) में तैनात थे।ड्ढr किस्तवार से अनंतनाग तक चल रहे सड़क निर्माण के वे कमांडिंग अफसर थे। इस रास्ते में आतंकवादियों का ठिकाना होने के कारण आतंकी संगठनों द्वारा निर्माण का विरोध करते हुए अजय को वहां से हटने के लिए धमकाया गया। अजय ने इसकी परवाह नहीं की और इसकी सूचना आधिकारिक रूप से सरकार तक पहुंचा दी।ड्ढr बीते 13 जून की सुबह मेजर एस. के. सिंह और सुरक्षा दस्ते के साथ अजय साईट से निरीक्षण करके लौट रहे थे। इसी दौरान रास्ते में पत्थरों का अवरोधक खड़ा कर आतंकवादियों ने उनकी जिप्सी को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग कर दी। नतीजतन सभी सैनिक व अधिकारी शहीद हो गये। आतंकियों ने अजय की पॉकेट में ‘एचएम’ (हिजबुल मुजाहिदीन!) लिखा एक बिल्ला डाल दिया। बाद में लश्कर तोयबा ने भी इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।

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