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घंटाघर में लगेगी नई घड़ी

ऐतिहासिक घंटाघर की 121 साल पुरानी बंद पड़ी नायाब घड़ीोल्द ही रााधानी के संग्रहालय की शोभा बनोाएगी।ोिला प्रशासन इस घड़ी कीोगह नई घड़ी लगाने की तैयारी कर रहा है ताकि बरसों से खामोश घंटाघर एक बार फिर...

 घंटाघर में लगेगी नई घड़ी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ऐतिहासिक घंटाघर की 121 साल पुरानी बंद पड़ी नायाब घड़ीोल्द ही रााधानी के संग्रहालय की शोभा बनोाएगी।ोिला प्रशासन इस घड़ी कीोगह नई घड़ी लगाने की तैयारी कर रहा है ताकि बरसों से खामोश घंटाघर एक बार फिर सोए हुए पुराने शहर कोोगा सके।ड्ढr कोलकाता की ऐतिहासिक घड़ियों की देखरख वाली एंग्लो-स्विस वॉच कंपनी के विशेषज्ञों ने पिछले दिनों घंटाघर मेंोाँच के बाद पाया कि इस घड़ी की अब मरम्मत नहीं हो सकती। इसके कई दुर्लभ पुरे अब मुहैया नहीं हैं। इस घड़ी को बदलने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचा।ड्ढr नवाब नसीरुदीन हैदर के दौर में हुसैनाबाद का घंटाघर 1887 में बन कर तैयार हुआ था। 221 फुट ऊँचा यह घंटाघर ब्रिटिश स्थापत्य का बेहतरीन नमूना है। पूर देश में इतना ऊँचा और भव्य घंटाघर दूसरा नहीं। यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ अवध के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर सरोरा कूपर के आगमन पर बने इस घंटाघर पर 121 साल पहले एक लाख 75 हाार रुपए का खर्च आया था।ड्ढr पिछले करीब दो दशकों से यह घंटाघर 7 बाकर 30 मिनट पर ठहरा हुआ है। फिर एक दिन घंटा बताने वाली सुई भी खो गई। घड़ी का 14 फुट लम्बा पैंडुलम मुड़ गया है और मिनट बताने ौसे कई चिह्न् गायब हैं। इस घड़ी की मरम्मत की कोशिश सात साल पहले हुई थी। उस समय घड़ी की मरम्मत में लाख रु. का खर्च आ रहा थाोबकि तब नई घड़ी की कीमत 10 लाख रु. थी।ोिला प्रशासन का प्रस्ताव था कि इसकी मरम्मत के बााए नई घड़ी ही खरीद लीोाए। लेकिन हुसैनाबाद ट्रस्ट ने ऐतिहासिकता का हवाला देकर पुरानी घड़ी की मरम्मत कराने कीोिद पकड़ ली। ट्रस्ट के दबाव में मरम्मत के लिए टेंडर निकाला गया। बरली की शब्बन एंड सन्स नाम की फर्म ने लाख रु. में घड़ी की मरम्मत का ठेका लिया। फर्म ने ढाई-तीन लाख रु. एडवांस भी लिए। फर्म के घड़ी साा नेोिला प्रशासन को बताया था कि उसे बम्बई के कबाड़ी बार में घड़ी के दुर्लभ पुरे मिलने की उम्मीद थी। लेकिन वह पुरे नहीं मिले। पुरो की तलाश में गई वह फर्म आा तक लौट कर नहीं आई।ड्ढr सूत्र बताते हैं कि पिछले महीने कोलकाता के घड़ी विशेषज्ञों ने साफ कह दिया कि अब यह घड़ी नहीं बन सकती। इसके पुरे लंदन की उस कंपनी के पास भी मौाूद नहीं है,ोिसने इसे बनाया था। हर तरफ से नाउम्मीदोिला प्रशासन अब नई घड़ी की तलाश कर रहा है। इस बार में अपरोिला मािस्ट्रेट ओपी पाठक ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि नई घड़ी के लिए प्रस्ताव तैयार कियाोा रहा है।ोल्द ही इसे हुसैनाबाद ट्रस्ट के सामने रखाोाएगा। ड्ढr ं

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