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पिछड़े नेताओं पर डोरे डालने में जुटे अमित शाह

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपहसालार और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने आम चुनाव से पहले पिछड़ों को अपने पाले में लाने की कवायद शुरू कर दी है।...

पिछड़े नेताओं पर डोरे डालने में जुटे अमित शाह
एजेंसीTue, 11 Feb 2014 10:06 AM
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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपहसालार और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने आम चुनाव से पहले पिछड़ों को अपने पाले में लाने की कवायद शुरू कर दी है। अमित शाह राज्य में पिछड़े वर्ग को लुभाने के लिए दूसरे दलों के कई वरिष्ठ नेताओं को साथ लाने की तैयारी में जुटे हुए हैं।

पार्टी के रणनीतिकारों के मुताबिक प्रदेश प्रभारी अमित शाह पिछड़े वर्ग के कई नेताओं से लगातार संपर्क साधने में लगे हुए हैं। कुछ को वह भाजपा में शामिल कराने में कामयाब भी रहे हैं, तो कुछ को जोड़ने की तैयारी लगभग कर ली है।

पार्टी के ही एक पदाधिकारी की मानें तो शाह प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए पिछड़े वर्ग के वोट बैंक पर भरोसा जता रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सतपाल सिंह को भाजपा से जोड़ने को शाह की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि शाह की इसी रणनीति के तहत प्रदेश के पिछड़े वर्ग के नेता फागु चौहान और राजेश वर्मा को भाजपा में शामिल किया गया है।
 
उप्र के जातिगत समीकरणों पर गौर करें तो उप्र की 80 लोकसभा सीटों वाले इस प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों की नजर पिछड़े वर्ग के वोट पर है। प्रदेश में सवर्ण जातियां 18 प्रतिशत हैं, तो पिछड़े वर्ग की संख्या 39 प्रतिशत है, जिसमें यादव 12 प्रतिशत, कुर्मी, सैथवार आठ प्रतिशत, जाट पांच प्रतिशत, मल्लाह चार प्रतिशत, विश्वकर्मा दो प्रतिशत और अन्य पिछड़ी जातियों की तादाद सात प्रतिशत तक है।

ऐसे में सभी राजनीतिक दलों का झुकाव पिछड़े वर्ग को खुश करने का है। प्रदेश में अनुसूचित जाति 25 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी 18 प्रतिशत है।

राजनीतिक विश्लेषक रासिद खान कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियां लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका अदा करेंगी, क्योंकि पिछड़े वर्ग के जो नेता हैं वो अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में भाजपा की यह कवायद आम चुनाव के मद्देनजर फायदेमंद साबित हो सकती है।

अमित शाह की कोशिश है कि ऐसे नेताओं को एकजुट कर भाजपा को राज्य में मजबूती प्रदान की जा सके। इसी क्रम में पिछड़े वर्ग के नेता फागु चौहान और राजेश वर्मा भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिसके बाद अमित शाह अब अनुप्रिया पटेल को भाजपा में शामिल करने की कोशिशों में लग गए हैं।

सूत्र बताते हैं कि अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल भी मोदी की लहर को देखते हुए भाजपा से जुड़ने का मन बना रही हैं, लेकिन इसके लिए प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने शर्त रखी है कि अपना दल का भाजपा में विलय कर लिया जाए। अगर ऐसा हो जाता है तो उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक बड़ी सफलता हाथ लगेगी।

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