मॉरिशस या स्वर्ग
दोस्तो, मैं मॉरिशस के लिए निकल रहा हूं। सुना है, मॉरिशस की धरती बहुत सुंदर है। वहां की एक किंवदंती है कि ईश्वर ने सबसे पहले पृथ्वी पर मॉरिशस को बनाया और उसकी सुंदरता से मोहित होकर, उसी की नकल से अपने...
दोस्तो, मैं मॉरिशस के लिए निकल रहा हूं। सुना है, मॉरिशस की धरती बहुत सुंदर है। वहां की एक किंवदंती है कि ईश्वर ने सबसे पहले पृथ्वी पर मॉरिशस को बनाया और उसकी सुंदरता से मोहित होकर, उसी की नकल से अपने लिए स्वर्ग का निर्माण किया। लगभग 2,000 किलोमीटर का क्षेत्र और करीब 12 लाख से कुछ अधिक की जनसंख्या वाला यह सुंदर देश धर्म-बहुल होते हुए भी धर्मनिरपेक्ष है और संसार के सबसे कम भ्रष्ट शिखर के देशों में से एक है। जैविक विविधता के लिए दुर्लभ विलक्षणताओं से भरे इस देश की गहरी जड़ें भारत में भी हैं। फ्रेंच, क्रियोल के अलावा, वहां भोजपुरी, हिंदी तथा दक्षिण भारतीय भाषाएं बोलने वाले लोग अच्छी तादाद में हैं।
सन 2000 तक भोजपुरी बोलने वाले हर सौ में से बारह लोग हुआ करते थे, हालांकि 2013 में यह प्रतिशत घटकर पांच रह गया है। वैसे तो मॉरिशस ने औपचारिक तौर पर किसी एक भाषा को अपनी राजभाषा नहीं घोषित किया है, लेकिन मुख्यत: सारा कामकाज अंग्रेजी में होता है। हिंदी बोलने-समझने वाले भी वहां बहुत से लोग हैं। लेखक भी, और विद्वान भी। उनसे मिलने का भी मन है। गहरी उत्सुकता है इस यात्रा को लेकर। लेकिन थकान भी है। दो दिन से एक बहुत अच्छे मनुष्य और ऑस्ट्रेलिया से भारत आए फिल्मकार एंड्रयू और युवा समाजकर्मी अहमर के साथ गुजरे और हम लोग बहुत सारी बातें करते रहे। साहित्य व सिनेमा से लेकर राजनीति तक। अब मॉरिशस के लिए सामान पैक करने का वक्त आ गया है।
अपनी फेसबुक वॉल पर उदय प्रकाश