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कभी खुद को शाबाशी दी है?

आगे बढ़ने की प्रक्रिया में रुक कर अल्पविराम करना भी जरूरी होता है। एक ब्रेक अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए। हर दम यही न सोचें कि क्या नहीं कर पाए, कभी-कभार खुद को एक कदम पीछे करके यह भी सोचना चाहिए कि...

कभी खुद को शाबाशी दी है?
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 09 Feb 2014 08:04 PM
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आगे बढ़ने की प्रक्रिया में रुक कर अल्पविराम करना भी जरूरी होता है। एक ब्रेक अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए। हर दम यही न सोचें कि क्या नहीं कर पाए, कभी-कभार खुद को एक कदम पीछे करके यह भी सोचना चाहिए कि आपने क्या-क्या किया है। इसे ही अपनी छोटी-छोटी जीत का जश्न मनाना कहते हैं। ऐसा करना यानी खुद को और अपनी कड़ी मेहनत को कुछ प्यार देना भी है, जो खुशी और ऊर्जा देता है। इससे हमारी क्षमता व सामथ्र्य दिमाग पर अंकित होते हैं और हम भविष्य में भी वैसा ही करने के लिए तैयार रहते हैं।

ऑफिस में दिन अच्छा रहा हो या किसी महत्वपूर्ण काम को पूरा किया हो या फिर बॉस या टीचर से शाबाशी मिली हो, कामयाबी कैसी भी क्यों न हो उसे सेलिब्रेट करने से न चूकें। बड़ी पार्टी करनी जरूरी नहीं है, एक छोटी-सी चॉकलेट, पसंदीदा आइसक्रीम, दोस्त के साथ कॉफी पीना या अपनी पसंद के संगीत को सुनने के लिए थोड़ी सी फुरसत निकालें, ये सब बातें भी खुशी से भर देंगी। यह अपनी उपलब्धियों को यादगार बनाने के साथ खुद से प्यार करने का तरीका है।

टूटे दिल को संभालिए
जिसे आप अपना प्यार समझ रहे थे, अचानक पता चले कि वह दोस्त तो किसी और से प्यार करता है, तो मन की हालत सहज ही समझी जा सकती है। वैसे किसी जिगरी दोस्त का हमेशा के लिए साथ छूटना भी कम दुखदायी नहीं होता। इससे पहले कि ऐसे किसी नाजुक हालात में आपका अपने दिलो-दिमाग पर काबू न रहे, आप खुद को संभालने का काम करें। सुखासन में बैठकर ध्यान करना आपके मन को शांत करता है। दिमाग तक ऑक्सीजन का प्रवाह दुरुस्त होता है और व्यक्ति सुकून महसूस करता है। सहज होकर बैठें और अपने श्वासों पर ध्यान दें। दस गहरे श्वास अंदर लें और बाहर छोड़ें। ध्यान केवल श्वासों पर रखने की कोशिश करें। 
(तारा स्टाइल्स, न्यूयॉर्क में योग इंस्ट्रुक्टर हैं। वे रीबॉक की ग्लोबल एम्बेसडर ऑफ योगा भी हैं)

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