आईसीसी ढांचे में बदलाव पीछे की ओर कदम : वूल्फ
लॉर्ड हैरी वूल्फ ने आईसीसी के ढांचे में बदलाव के विवादित प्रस्ताव को पीछे की ओर कदम बताया है। आईसीसी के प्रशासनिक ढांचे पर पूर्व न्यायाधीश वूल्फ की समीक्षा को खारिज कर दिया गया...
लॉर्ड हैरी वूल्फ ने आईसीसी के ढांचे में बदलाव के विवादित प्रस्ताव को पीछे की ओर कदम बताया है। आईसीसी के प्रशासनिक ढांचे पर पूर्व न्यायाधीश वूल्फ की समीक्षा को खारिज कर दिया गया था।
लॉर्ड वूल्फ ने 2011 में आईसीसी के प्रशासनिक ढांचे की समीक्षा की थी जिसका बीसीसीआई ने विरोध किया था। उन्होंने कहा कि मौजूदा बदलाव भविष्य के लिए चिंताजनक संकेत है। वूल्फ ने द डेली टेलीग्राफ से कहा कि इससे तीन बोर्ड ( इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत) को असाधारण अधिकार मिल जाएंगे और बाकी किसी को कुछ कहने का अधिकार नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि पूरी तरह से निष्पक्ष किसी भी व्यक्ति के लिए यह समझना मुश्किल होगा कि ये प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए कार्यक्रम को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि बदलाव लागू कर दिए गए तो आईसीसी विश्व संचालन ईकाई की जगह निजी क्लब बन जाएगी।
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकार बड़ी हैरानी हो रही है कि विश्व स्तरीय खेल बनने की आकांक्षाएं पालने वाले खेल में शीर्ष पर निष्पक्ष ईकाई क्यों नहीं होनी चाहिए।
वूल्फ ने कहा कि मुझे यह पीछे की ओर कदम लग रहा है और कम ताकतवर देशों के लिए यह चिंता का सबब है। इससे तीन सदस्यों की ताकत बढ़ेगी और यह मान लिया जाएगा कि क्रिकेट से आपको बड़ी कमाई हो रही है तो वह आपकी है, क्रिकेट की नहीं तो यह गलत है।
प्रस्ताव के मसौदे पर शनिवार को सिंगापुर में आईसीसी बैठक के दौरान मतदान होगा। लॉर्ड वूल्फ ने 2011 की रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि आईसीसी प्रशासन बड़े देशों के नियंत्रण से परे होना चाहिए। आईसीसी में भारत के दबदबे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि सबसे ज्यादा राजस्व भारत से मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि यह निर्विवाद तथ्य है कि सबसे ज्यादा कमाई भारत से ही हो रही है और वे कह सकते हैं कि इसे ध्यान में रखना चाहिए लेकिन कैसे ध्यान में रखना है, इस पर फैसला लेना होगा। वूल्फ ने कहा कि इस पर गौर करने की जरूरत है। इसमें शामिल तीन देशों को यह बड़ा लुभावना लगेगा कि वे क्रिकेट जगत के तीन सबसे बड़े देश बन जाएंगे। लेकिन इससे भी अहम छोटे देशों के हित हैं।