सीडब्ल्यूजी घोटाले में शीला पर आंच
दिल्ली सरकार के आदेश पर गुरुवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने कॉमनवेल्थ गेम्स (सीडब्ल्यूजी) के दौरान हुए स्ट्रीट लाइट घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। इसमें किसी को नामजद तो नहीं किया गया है,...
दिल्ली सरकार के आदेश पर गुरुवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने कॉमनवेल्थ गेम्स (सीडब्ल्यूजी) के दौरान हुए स्ट्रीट लाइट घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। इसमें किसी को नामजद तो नहीं किया गया है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुए घोटाले के चलते उनपर भी आंच आ सकती है।
सूत्रों की मानें तो सरकार की ओर से एसीबी को भेजे गए तीन पेज के एक नोट में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यालय में यह घोटाला होने की बात है। असल में सीडब्ल्यूजी के मद्देनजर सरकार ने नेहरू स्टेडियम के पास लोधी रोड पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्ट्रीट लाइटें लगानी थी। वर्ष 2008 में पांच कंपनियों ने ठेका लेने के लिए आवेदन किया था। बाद में यह ठेका तीन कंपनियों को दे दिया गया।
कई गुना बढ़ा दी थी कीमतें: ठेका दिए जाने के बाद लाइट लगाने वाली एमसीडी और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने लाइटों की कीमत कई गुना बढ़ा दीं। दस्तावेजों में इस हेराफेरी की जानकारी सीडब्ल्यूजी कमेटी के लोगों को भी थी। बावजूद इसके महंगी विदेशी लाइटें की जगह लोकल लाइटें ही लगा दी गईं।
छह हजार की लाइट 27 हजार में: आरोप है कि पांच से छह हजार रुपये में मिलने वाली स्ट्रीट लाइट 27 हजार रुपये में खरीदी गईं। इस खरीद में नियमों की अनदेखी की गई। इस सब के चलते सरकारी खजाने को करीब 92 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। यह सब शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुआ था।
शुंगलू कमेटी ने माना था दोषी: इससे पहले प्रधानमंत्री द्वारा गठित की गई शुंगलू कमेटी ने भी घोटाले से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में शीला दीक्षित और पूर्व उपराज्यपाल तेजिंदर खन्ना को दोषी माना था।
भूमिका सामने आने पर होगी कार्रवाई: एसीबी के अतिरिक्त आयुक्त रंगानाथन के अनुसार, इस संबंध में साजिशन धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी अज्ञात के खिलाफ है। जांच के दौरान जिसकी भी भूमिका सामने आएगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।