20 साल बाद, गांव रहा याद, घर का गया भूल
मथुरा। उसे गांव तो याद था मगर गलियां भूल गया था, जवानी में गया था और अधूेड़ अवस्था में लौटा तो उसे देखकर हर कोई हैरान था। उसकी याद में दस साल पहले पिता और तीन साल पहले मां चल बसी अब लौटा तो...
मथुरा। उसे गांव तो याद था मगर गलियां भूल गया था, जवानी में गया था और अधूेड़ अवस्था में लौटा तो उसे देखकर हर कोई हैरान था। उसकी याद में दस साल पहले पिता और तीन साल पहले मां चल बसी अब लौटा तो उसे अपना भाई मिला जिसे देखकर सीने से लिपट गया। इस नजारे को देखने पूरा गांव एकत्र हो गया।
मगोर्रा के समीपवर्ती गांव सौन में रविवार को दिनभर कौतुहल का माहौल रहा। गांव बेटा भूदेव को बीस साल बाद गांव और घर की याद आई तो पूछता पूछता खिंचा चला आया। दरअसल किसी बात पर विकलांग भूदेव करीब 22 साल की उम्र में घर छोड़ कर चला गया था। इसके बाद गांव में नहीं आया। उसका घर वालों को अता-पता नहीं था। लम्बे समय तक नहीं लौटने पर इंतजार करते उसकी याद में पिता टडडा करीब दस साल पहले चल बसे और अब से करीब तीन साल पूर्व उसकी मां रामदेवी भी चल बसी।
रविवार को अचानक वह गांव में लौटा तो लोग हैरान रह गये। भूदेव गांव तक तो पहुंच गये मगर गांव में भीतर वह अपने घर का रास्ता भूल चुका था। बीस साल में आए बदलाव से वह भूल भुलैया में पड़ गया। गांव वालों से वह अपने घर का पता पूछता हुआ घर पहुंचा। उसके बाल सफेद हो गये और उम्र भी चालीस को पार कर गई। जैसे ही घर पर पहुंचा तो भूदेव को उसका भाई तेज सिंह मिला तो दोनों भाई एक दूसरे से लिपट गये।
बीस साल बाद भाई के मिलने पर तेज सिंह बेहद खुश था तो उतना ही भूदेव। मगर जब भूदेव को अपने माता पिता की जानकारी मिली तो आंखों से आंसू निकलने लगे। इस खुशी और गम भरे नजारे को देखने के लिए पूरा गांव तेज सिंह के घर पर उमड पड़ा। टॉप का टेलर बनकर लौटा भूदेव बीस साल बाद गांव में लौटने भूदेव ने बाहर रखकर कपड़ो की सिलाई सीखी। इस दौरान उसने दिल्ली और मुम्बई में कपड़ो की सिलाई का काम किया और टॉप का टेलर बनकर गांव में लौटा।
गांवों वाले उससे बीस साल के दरम्यान के रहन सहन के बारे में पूछने में लगे रहे। जिनका वह जबाव दे रहा था।