फोटो गैलरी

Hindi Newsतीसरे मोर्चे की दिशा में काम करेगी जदयू: शरद यादव

तीसरे मोर्चे की दिशा में काम करेगी जदयू: शरद यादव

पिछले साल राजग से संबंध तोड़ने वाली जदयू ने आज कहा कि सभी गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दलों को साथ में लाने के रास्ते में अंतर्निहित विरोधाभासों की रकावट के बावजूद तीसरे मोर्चे के गठन के लिए प्रयास...

तीसरे मोर्चे की दिशा में काम करेगी जदयू: शरद यादव
एजेंसीSun, 02 Feb 2014 07:29 PM
ऐप पर पढ़ें

पिछले साल राजग से संबंध तोड़ने वाली जदयू ने आज कहा कि सभी गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दलों को साथ में लाने के रास्ते में अंतर्निहित विरोधाभासों की रकावट के बावजूद तीसरे मोर्चे के गठन के लिए प्रयास किये जाएंगे।

पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने भाजपा पर संप्रग के खिलाफ विपक्षी एकता को तोड़ने का आरोप लगाया और अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी तरह के गठजोड़ की संभावना को खारिज कर दिया।

यादव ने एक साक्षात्कार में लोकसभा चुनावों के बाद फिर से भाजपा के साथ अपनी पार्टी के गठजोड़ की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि सैद्धांतिक आधार पर रास्ते अलग-अलग हुए थे और फिर से हाथ मिलाने का सवाल ही नहीं उठता।

माना जा रहा है कि राजग से अलग होने के बाद जदयू बिहार में अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। पार्टी को विश्वास है कि तीसरे मोर्चे के रास्ते में आंतरिक विरोधाभास जरूर हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद यह उभरेगा और पार्टी इसका अहम हिस्सा बनेगी।

यादव ने स्वीकार किया कि कुछ अंतर्निहित विरोधाभास हैं जो सभी गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दलों को एक मंच पर लाने में बाधा पैदा करते हैं। हालांकि उन्होंने पहले भी इस तरह के गठबंधनों की सरकार बनने का उदाहरण दिया। यादव ने कहा कि जदयू, सपा और जेडीएस जहां पहले ही हाथ मिला चुके हैं वहीं अन्य दलों से बातचीत जारी है।

शरद यादव ने कहा कि देश में भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर एक बड़ी राजनीतिक शक्ति मौजूद है। इस पर सामाजिक बहस की जरूरत है। गैर-भाजपाई, गैर-कांग्रेसी विपक्ष कमजोर नहीं है। अगर देश को सही दिशा में रखना है तो इस तीसरे मोर्चे की जरूरत है।

यादव की पार्टी के बड़े नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल कहा था कि दिल्ली में 5 फरवरी को पार्टी नेताओं की बैठक के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के विरोधी दलों का नया गठजोड़ को गति प्रदान करेगा।

सभी क्षेत्रीय गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपाई दलों को साथ में लाने में कठिनाइयों का जिक्र करते हुए जदयू अध्यक्ष ने कहा कि हां राज्यों में कुछ आंतरिक विरोधाभास हैं।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में वाम दल और ममता बनर्जी साथ नहीं रह सकते, उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा या तमिलनाडु में द्रमुक और अन्नाद्रमुक साथ में नहीं रह सकते। लेकिन पिछले 65 साल का अनुभव दिखाता है कि आंतरिक मतभेदों के बावजूद महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक सहमति बन जाती है।

उन्होंने कहा कि हमने जब महंगाई जैसे मुद्दों पर भारत बंद का आयोजन किया था तब भी ये दल साथ आये थे। हम एक रास्ता खोजने का प्रयास कर रहे हैं और शुरुआत में जदयू, सपा तथा जनता दल सेकुलर साथ में आये हैं। और भी पार्टी आएंगी। हम कोशिश कर रहे हैं और हमें विश्वास है कि यह होगा।

उन्होंने कहा कि जदयू का मानना है कि मौजूदा परिद्श्य में गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दलों का गठजोड़ समय की जरूरत है। यादव ने कहा, कुछ विरोधाभास हैं लेकिन हमने 1977 में :जनता पार्टी की सरकार:, 1989 में :वीपी सिंह नीत राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार: और 1996 में :एचडी देवगौड़ा तथा आई के गुजराल की तीसरे मोर्च की सरकारें: बनाईं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें