एससी का स्पेक्ट्रम नीलामी पर रोक लगाने से इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, लूप तथा आइडिया की याचिकाओं को खारिज करते हुए दूरसंचार न्यायाधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। इन कंपनियों ने सोमवार से होने वाली स्पेक्ट्रम...
सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, लूप तथा आइडिया की याचिकाओं को खारिज करते हुए दूरसंचार न्यायाधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। इन कंपनियों ने सोमवार से होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी पर रोक लगाने तथा अपना लाइसेंस 10 साल के लिये और बढ़ाने का अनुरोध किया था।
हालांकि रविवार को विशेष तत्काल सुनवाई के तहत न्यायाधीश एआर दवे तथा न्यायाधीश एसए बोब्दे की पीठ ने एयरटेल तथा वोडाफोन की उन अर्जियों को स्वीकार कर लिया, जिसमें दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) के 31 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गयी है। पीठ ने कहा कि अपील स्वीकार की जाती है और सुनवाई में तेजी लायी जा रही है।
केंद्र ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि आपकी (शीर्ष अदालत) ओर से की गई किसी भी टिप्पणी से अन्य बोलीदाता भयभीत होंगे और स्पेक्ट्रम नीलामी का आकर्षण खत्म हो सकता है। एयरेटल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वोडाफोन की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिये रखे जाने के बजाए उनके मुविक्कलों के लिये मौजूदा लाइसेंस की अवधि बढ़ायी जानी चाहिए।
रोहतगी ने यह कहा कि शीर्ष अदालत को दूरसंचार विभाग से यह कहना चाहिए कि वह जबतक अपील पर निर्णय नहीं कर लेती, नीलामी के परिणाम की घोषणा नहीं करे। सिंघवी ने कहा कि वोडाफोन के पास 1994 से 20 साल के लिये लाइसेंस है, अत: उसके पास स्पेक्ट्रम का अधिकार है और लाइसेंस की अवधि 10 साल के लिये और बढ़ायी जानी चाहिए।
हालांकि पीठ ने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि आपका उस पर एकाधिकार हो। दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत में वही दलील दी जो उन्होंने न्यायाधिकरण के समक्ष दिया था। दोनों कंपनियों ने कहा कि उन्होंने करोड़ों रुपये का निवेश किये हैं और इसीलिए वे लाइसेंस अवधि बढ़ाये जाने की अपेक्षा कर रही हैं।
कंपनियों का कहना था कि इससे इनकार अवैध तथा अनुपयुक्त होगा। साथ ही इससे उनके ग्राहकों की सेवा बाधित होगी। टीडीसैट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता अपने लाइसेंसों में प्रासंगिक प्रावधानों के संदर्भ में विस्तार के बारे में अपने अधिकार स्थापित करने में विफल रहीं हैं। मामला यहीं समाप्त होता है।
न्यायाधिकरण ने कहा था कि दूरसंचार विभाग ने जिन कारणों के आधार पर लाइसेंस अवधि बढ़ाये जाने से इंकार किया है, वह उससे संतुष्ट है और दूरसंचार कंपनियों को तीन फरवरी से होने वाले स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग लेने को कहा।