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जनतंत्र जीवन की पद्धति में शामिल हो

अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता सभी को मिलनी चाहिए। जनतंत्र को जीवन की पद्वति में शामिल करना चाहिए। हाल के वषों में अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता पर हमले बढ़े है उन्हें रोकना चाहिए। ये बातें बुधवार को एएन सिन्हा...

 जनतंत्र जीवन की पद्धति में शामिल हो
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता सभी को मिलनी चाहिए। जनतंत्र को जीवन की पद्वति में शामिल करना चाहिए। हाल के वषों में अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता पर हमले बढ़े है उन्हें रोकना चाहिए। ये बातें बुधवार को एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के पूर्व निदेशक व समाजशास्त्री प्रो. सच्चिदानंद ने पटना विवि डेमोक्रेटिक शिक्षक फोरम द्वारा आयोजित अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता, जनतंत्र और शैक्षणिक उत्कृष्टता विषय पर आयोजित सेमिनार में कहीं। उन्होंने कहा कि हमें इसका प्रतिकार करना चाहिए।ड्ढr पटना विवि के प्रति कुलपति डा. एस आई अहसन ने कहा कि बिहार में एकेडमिक एक्िसलेंस नहीं है। शिक्षा का वातावरण बनना चाहिए। प्रो. एएल शर्मा ने स्वतंत्रता एवं जनतंत्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता एवं समानता में गहरा संबंध है। पटना विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एएम मोहिउद्दीन ने कहा कि कुलाधिपति का पद अपील अधिकारी का होता है। सेमिनार की अध्यक्षता अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. नवल किशोर चौधरी ने की।ड्ढr ड्ढr उन्होंने कहा कि शैक्षाणिक उत्कृ ष्टता के लिए अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता जनतांत्रिक अधिकार की मौलिक शर्ते हैं। पिछले दिनों इस पर सत्ता की तरफ से प्रहार हो रहे हैं, जो शिक्षा के विकास में घातक है। यह मानव सभ्यता की देन है। श्री चौधरी ने कहा कि विवि मूल्यों की रक्षा व अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता के लिए वे फांसी चढ़ने को भी तैयार हैं। सेमिनार में प्रो. विनय कंठ, डा. डेाी नारायण, प्रो. बद्री नारायण लाल, प्रदीप झा, केपीएस केशरी, एमएम कर्ण, प्रो. तारा शंकर सिंह, अभ्युदय, विश्वजीत, सचिन एवं सुबोध आदि ने भाग लिया।ं

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